न्याय के लिए उच्च न्यायलय में लड़ी लंम्बी लड़ाई
(शर्मा आरडी)प्रदेशभर में डीपीईपी के बाद सर्व शिक्षा अभियान में लगे कर्मचारियों को आखिर सरकार ने नियमतिकरण का तोहफा दे ही दिया। शिक्षा के ढांचे को पटरी पर लाने के लिए इन केंद्र प्रायोजित कार्यक्रमों में कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था। वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान में काम कर रहे 83 कर्मचारियों को सरकार ने नियमित करने का फैसला लिया है।
उक्त कर्मचारी पिछले 20 साल से नियमितीकरण की बाट जोह रहे थे। इसके लिए इन्हे न्यायालय में लंम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी और आखिरकार सरकार ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। इन 83 कर्मचारियों में 70 जेईए 11 ड्राफ्ट्समैन जबकि दो असिस्टेंट शामिल हैं। इन कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ष 1997 में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम ;डीपीईपीद्ध के तहत हुई थी। इसके बाद इन्हें 2003.2004 में शुरू हुए सर्व शिक्षा अभियान में मर्ज कर दिया गया।। वर्ष 2010 में इन कर्मचारियों को रेगुलर स्केल दिया गयाए लेकिन नियमित नहीं किया गया। अब एसएसए की ओर से इन कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव भेजा गयाए जिस पर सरकार ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
गौर हो कि सर्व शिक्षा अभियानए एक निश्चित समयावधि के भीतर प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। 86वें संविधान संशोधन द्वारा 6.14 आयु वर्ष वाले बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप मेंए निःशुल्क और अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया है। इस तरह सर्व शिक्षा अभियान पूरे देश में राज्य सरकार की सहभागिता से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत शिक्षा से महरूम स्थानों पर नए स्कूल खोलना तथा पुराने स्कूलों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाना है।