कुल्लू में रचित संसार की पहली पुस्तक ऋग्वेद पर होगा शोध

 

22 अक्तूबर को देव सदन में होगा संस्था का 13वां वार्षिक सम्मेलन, 14 विभूतियों का ऑथर्ज गिल्ड ऑफ हिमाचल आवार्ड के लिए चयन

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(रेणुका गौतम)संसार की पहली पुस्तक ऋग्वेद पर अब प्रदेश व देशभर के विद्वान शोध करेंगे। यह बीड़ा प्रसिद्ध विद्वान एवं ऑथर्ज गिल्ड ऑफ हिमाचल के संस्थापक अध्यक्ष जयदेव विद्रोही ने उठाया है। उनके अनुसार जर्मन के विद्वान मैक्समूलर ने 300 वर्ष पहले संकेत दिए थे कि प्रथम पुस्तक ऋग्वेद पंजाब के पर्वतीय भू-भाग में लिखी गई है और उस समय पंजाब का भू-भाग कुल्लू-मनाली था। इसके बाद प्रदेश के पहले भाषा एवं संस्कृति मंत्री लालचंद प्रार्थी ने भी अपनी पुस्तक कुल्लूत देश की कहानी में इसका वर्णन किया है।

ऑथर्ज गिल्ड ऑफ  हिमाचल की  कुल्लूत संस्कृति विकास मंच के कार्यालय बदाह में बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हीरालाल ठाकुर ने की। इस बैठक में गिल्ड के 13वें वार्षिक सम्मेलन में होने वाले कार्यक्रम में सम्मानित होने वाली प्रतिभाओं की घोषणा की गई। जिसमें प्रदेश की 14 विभूतियों का चयन किया गया। जिसमें डॉ. आर वासुदेव प्रशांत धर्मशाला, डॉ. बीबी सांख्यान बिलासपुर, डॉ. बीजे पुरी पालमपुर, डॉ. माधुरी सूद ज्वालामुखी, डॉ. कुशल कटोच धर्मशाला, कर्नल जसवंत सिंह कलोल बिलासपुर, सुरेश भारद्वाज धर्मशाला, इंदु पटियाल लोक संस्कृति की व्याख्याकार बंजार, रोशन लाल शर्मा प्रधान लेखक मंच बिलासपुर, धनेश गौतम पत्रकार कुल्लू, गोपाल शर्मा कांगड़ा, अर्जुन कनौजिया पालमपुर, नेसू राम आनंद छन्नीखोड़ (मरणोपरांत), किशन श्रीमान हिमतरु पत्रिका कुल्लू संस्था के अध्यक्ष जय देव विद्रोही ने जानकारी देते हुए बताया कि मीटिंग में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी विभूतियों को समृति चिन्ह अंगवस्त्र प्रशस्ति पत्र एवं टोपी भेंट की जाएगी।

शिव सिंह पाल चैप्टर अध्यक्ष कुल्लू का कहना है कि आमंत्रित विद्वानों की रिहाइश और भोजन व्यवस्था की जा चुकी है। 22 अक्तूबर को दिन की भोजन व्यवस्था देव सदन परिसर के बिल्कुल समीप की गई है। व्यवस्था को लेकर  सुनीता ठाकुर की मीटिंग में मुख्य भूमिका रही और योगदान भी ।लोक संस्कृति के मर्मज्ञ हीरालाल ठाकुर और डॉक्टर सूरत ठाकुर के साथ कुल्लू में लिखी गई ऋगवेद संसार की पहली पुस्तक को लेकर विशेष बहस का मुद्दा बनी रही। इसी विषय पर 22 अक्तूबर को देवसदन  कुल्लू में डॉक्टर आर वासुदेव अपना शोध पत्र पढ़ेंगे और श्रोता निश्चित रूप से इस महत्वपूर्ण विषय में अपना ज्ञान वर्धन कर लाभांवित होंगे।

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