कहीं पच्छाद की सड़कें न रोक दें विधान सभा का रास्ता, बदहाल सड़कें बयां कर रही हैं अपनी कहानी

सिरमौर जिला के अग्रणी कहे जाने वाले पच्छाद हल्के की भाग्य रेखाएं यानी सड़कें बदहाल हैं जो स्वयं ही अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रही हैं। सड़कों का मुद्दा ग्रामीणों में अंदर ही अंदर खौल रहा है। जो इस चुनाव में प्रत्याशियों की हार जीत तय करने में अहम भूमिका अदा करेगी। सड़कों की दुर्दशा कांग्रेस को भारी पड़ती प्रतीत हो रही है। पच्छादवासियों को क्षेत्र की सड़कों की दुर्दशा पूरे पांच साल सताती रही हैं। इससे आम जनता तो परेशान है ही सत्ता से जुड़े लोग भी दुखी हैं। हालत यह है कि इस दौरान यहां की एक भी सड़क को तारकोल के दर्शन नसीब नहीं हुए। नतीजतन एक भी सड़क ऐसी नहीं है जो सही हालत में हो। सड़कों की हालत देखें तो पता चलता है कि यहां सड़कों में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में सड़कें हैं।

भौगोलिक दृष्टि से गिरिवार ओर गिरिपार में विभक्त इस हल्के में सड़कों की दुदर्शा किसी से छुपी नहीं है। यहां पक्की सड़कें तो फटेहाल हैं ही कच्ची सड़कें भी इससे भी बुरी हालत में हैं। हल्के में करीबन तीन सौ किमी पक्की जबकि इतनी ही कच्ची सड़कें हैं जिनसे ग्रामीण सीधेतौर पर जुड़े हैं लेकिन सड़कों की बदहाली से उनके दैनिक जीवन पर विपरीत असर पड़ रहा है। हालांकि हल्के को आधा दर्जन एनएच स्वीकृत हुए हैं लेकिन यदि बात करें सराहां-चंडीगढ़ सड़क की तो अरसे बाद इस सड़क को 9 साल पहले भारत निर्माण योजना के तहत लाकर पक्का करने की मुहिम अवश्य शुरू हुई लेकिन 8 करोड़ खर्चने पर भी यह सड़क पक्की नहीं हो पाई। घोर अनियमितताओं की शिकार हुई इस सड़क को केवल काला किया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि सड़क पहले से भी अधिक पतली हालत में पहुंच गई है। सड़क पर बिछाई जाने वाली तारकोल चन्द दिनों में उखड़ जाती थी।

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यही हाल सैनधार की भाग्यरेखा कहलाने वाली बागथन-वासनी-नारग-सोलन सड़क का है। इस सड़क पर तारकोल कहीं नजर ही नहीं आती। ग्रमीणों के मुताबिक सड़क पर बिछाई गई तारकोल थोड़े समय बाद ही तहस नहस हो गई थी। सड़क पर पूरी तरह गड्ढों का साम्राज्य है। कांग्रेस प्रत्याशी ओर 6 बार विधायक रहे जीआर मुसाफ़िर के गांव की नैनाटिककर-डिलमन सड़क पक्की होने के बावजूद कच्ची सड़क से भी बदतर हालत में है। धरयार-नारग-मरयोग सड़क की बदहाली भी ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। नाम के लिए पक्की इस सड़क पर जगह जगह इतने बड़े गड्ढे हैं जो पानी भराव से जोहड़ीयों में तब्दील हो चूके हैं। हिमाचल निर्माता के गांव को जोड़ने वाली बागथन-बनेठी खैरी राजगढ़, डूंगाघाट- बागथन, डिंगर किन्नर-भगायनघाट सड़कों की पतली हालत से नेताओं के माथे की लकीरें बढ़ा रही हैं। पच्छाद के चुनावी रन में उतरे नेताओं को यहां की  जनता को इसका जवाब देना ही होगा अन्यथा जनता तो जवाब देगी ही। कच्ची सड़कों में डूंगाघाट-क़िलाक्लांच, नैनाटिककर-ढंगयार, मढीघाट-सुल्तानपुर, मंडी खडाना- सराहां, नारग- सरसू, जयहर-कैरी बागथन, कसार-चबयोगा, वासनी- खैरी बड़ूसहिब सड़क बद से बदतर हालत में हैं। यही हाल राजगढ़ मण्डल की अन्य सड़कों का है।

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