पच्छाद वासियों को अपने ही प्रदेश में पंहुचने के लिए जाना पड़ता है वाया चंडीगढ़

प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला के लिए सराहां से दशकों की मांग के बाद भी नहीं चली सीधी बस सेवा , प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला तथा जिला कांगड़ा के प्रसिद्ध शक्ति पीठों के लिए हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के गृह क्षेत्र पच्छाद-सराहां से दशकों बाद भी बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है। पच्छाद वासी करीब पांच दशक से सराहां वाया कु मारहट्टी-कुनिहार-भराड़ीघाट-हमीरपुर-ज्वालाजी-कांगडा-धर्मशाला बस सेवा चलाई जाने की मांग कर रहे है। गौरतलब है कि इस रूट से कोई भी बस सेवा प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों को नहीं चलती है। हर साल नवरात्रों में जिला सिरमौर के साथ उत्तराखंड के हजारों लोग ज्वालाजी, चिंपूर्णी, नैनादेवी, चामुंडा इत्यादि शक्तिपीठों के दर्शन करने के लिए जाते हैं।

मगर बस सेवा न होने के कारण लोगों को टैक्सी वाहनों या निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। इसके अतिरिक्त पच्छाद क्षेत्र के सैकड़ो छात्र हमीरपुर, कांगड़ा व धर्मशाला के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करते है। वही सैकडों कर्मचारी स्कूल शिक्षा बोर्ड, पालमपुर विवि सहित कई संस्थानों में कार्यरत है। जिन्हें सराहां से हमीरपुर-कांगडा-धर्मशाला के लिए सीधी बस सेवा न होने से इन छात्रों व कर्मचारियों को अपने ही प्रदेश में पंहुचने के लिए वाया चंडीगढ़ जाना पडता है। हिमाचल पथ परिवहन निगम यदि सराहां से वाया कुनिहार-हमीरपुर-धर्मशाला के लिए कोई बस सेवा शुरू कर देता है, तो लोगों को इसका बहुत फायदा होगा। पूर्व बीडीसी उपाध्यक्ष पच्छाद विष्णु दत्त, पूर्व जिला परिषद सदस्य राजेश्वरी शर्मा, पंचायत प्रधान नैनाटिक्कर शिशु देवी, प्रधान सादनघाट मानसिंह, प्रधान बाग पशोग प्रकाश दत भाटिया, प्रधान डिलमन पूनम ठाकुर, प्रधान सराहां नरेन्द्र कुमार, जिला परिषद सदस्या दयाल प्यारी, प्रधान कथाड़ हेमन्त अत्री, विधायक सुरेश कश्यप इत्यादि ने प्रदेश सरकार से इस नई बस सेवा को शुरू करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल ने 3 जनवरी को आरएम नाहन के माध्यम ये प्रस्ताव परिवहन मंत्री को भेजा है, जिस पर अभी तक कोई निर्णय न होने से पच्छाद वसियों में भारी रोष है।

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गौरतलब है कि पूर्व में भी इस बस सेवा को लेकर मांग करते रहे हैं। अब तो प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला बन गई है, तो ऐसे में हिमाचल निर्माता के गृह क्षेत्र से एक बस सेवा चलाये जाने का औचित्य बनता है। गौर हो कि ज्वालाजी, कांगडा, चामुण्डा, शक्तिपीठों तक पहुंचने के लिए पच्छाद के ग्रामीणों को टैक्सीयों में भारी भरकम का किराया देते है। ऐसे में एक गरीब परिवार शक्तिपीठों तक पहुंचने का सपना ही देखता रहता है। जबकि प्रदेश सरकार यातायात व्यवस्था के बड़े दावे करती आई है। उधर जिला के लोगों को शीतकालीन राजधानी धर्मशाला पहुंचने के लिए जगह-जगह धक्के खाने पड़ते हैं। उधर इस बस के संदर्भ में जब नाहन एचआरटीसी के आरएम रशिद शेख से बात की तो उन्होंने बताया की अभी तक सराहां से वाया कु मारहट्टी-कुनिहार-ज्वालाजी-धर्मशाला बस को चलाने के लिए स्वीकृत नहीं मिली है। जैसी ही बस को चलाने के लिए स्वीकृती आयेगी बस को चला दिया जायेगा।

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