(शशी राणा ) काँगड़ा जिले की रक्कड़ तहसील के लगभग आठ गांवों के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी बस सुविधा से वंचित चले आ रहे हैं। बस की सुविधा से वंचित होने के कारण गांवों के आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां कई सरकारें आईं और कई अपना कार्यकाल पूरा करके चली भी गयीं। लेकिन इस क्षेत्र की बदकिस्मती ही रही है कि यहां हमेशा ही सरकार के विरोधी गुट का उम्मीदवार जीत प्राप्त करके विधानसभा में पहुंचता था। लेकिन अब लंबे अंतराल के बाद विधानसभा से लेकर केंद्र तक एक ही पार्टी की सरकार है। जिसके कारण लोगों में एक नई आस जगी है।
गौरतलब है कि सलेटी से तुतडू सड़क जिसकी लंबाई लगभग आठ किलोमीटर है। ये सड़क आज तक पक्की तो नहीं हो पाई ये भी स्थानीय लोगों की बदकिस्मती ही कहा जा सकता है। लोग दशकों से मिटटी की सड़क पर चलने को विवश हैं। ये सड़क सलेटी, कुड़ना, सिद्ध पुनणी, भड़वार, पुनणी, खुबन, मगरू,अलोह, तुतडू आदि गांवो कों जोड़ती है। इस सड़क पर आज तक कोई बस सुविधा न होने के कारण प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाले लोगों तथा आम सवारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आमजन को चार-पांच किलोमीटर पैदल चलकर बस की सुविधा प्राप्त करनी पड़ती है। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों को कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल और कॉलेज में जाना पड़ता है। अंकुश राणा, सुनील कुमार, विधि चंद, हरि सिंह, संतोष कुमार, मदन लाल, रामलाल, गणपत राम, संजीव, छोटू, विजय कौंडल, अशवनी कुमार, रमेश सिंह, पवना देवी, सुनीता देवी, रतनी देवी आदि स्थानीय लोगों का कहना है कि दशकों से वे बस सुविधा न होने से परेशानी झेल रहे हैं।अब उन्हें आश्वासन नहीं बल्कि बस सुविधा चाहिए।स्थानीय निवासियों ने सरकार और परिवहन निगम से मांग की है कि सलेटी- तुतडू रूट पर निगम की बस यथाशीघ्र चलायी जाये। ताकि आम लोगों और स्कूल- कॉलेज जाने वाले बच्चों को परेशानी का सामना न करना पड़े।