दिल्ली में लाल किला पर सिरमौर के हाटी समुदाय की विलुप्त संस्कृति भड़ाल्टू नृत्य की प्रस्तुति ने मचाया धमाल

 

(जसवीर सिंह हंस ) प्रभारी आसरा संस्था गोपाल सिंह ने बताया कि इन दिनों आसरा संस्था के पन्द्रह कलाकार दिल्ली में लालकिला पर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित भारत पर्व के राष्ट्रीय आयोजन में भाग ले रहे हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आर भ हुए भारत पर्व का आयोजन 26 जनवरी से 31 जनवरी तक किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव में भारत वर्ष के लगभग बाईस राज्यों के चुनिन्दा सांस्कृतिक दलों की सांझी प्रस्तुतियां लालकिला पर प्रतिदिन सांय छ: से आठ बजे तक आधुनिक तकनीक से बनी थ्री डी स्टेज पर दी जा रही है।

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अन्तर्राष्ट्ररीय याती प्राप्त कोरियोग्राफर मैत्री पहाड़ी द्वारा कोरियोग्राफ इस दो घन्टे के अविराम प्रदर्षन में पुरे हिन्दोस्तान की संस्कृति को एक मंच पर इस भांन्ति प्रस्तुत किया जा रहा है मानो पूरे देष की संस्कृति भारत पर्व के मंच पर एक साथ नृत्य कर रही हो। प्रतिदिन मंचीय प्रदर्षन का आर भ आसरा के कलाकारों द्वारा हिमाचल प्रदेष के सुषिर लोक वाद्य करनाल वादन से होता है तत्पष्चात् सभी राज्यों के वाद्य यन्त्रौं की एक साथ गूंज पैदा की जाती है और विभिन्न सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियां आर भ होती है।

सभी सांस्कृतिक दलों को तीन-तीन सांस्कृतिक दलों के समूह में विभाजित किया गया है जिसमें हाटी समुदाय के भड़ाल्टू नृत्य, मध्य प्रदेष के जनजातीय नृत्य गोढ़मारिया और ओडिसा के जनजातीय नृत्य गुपकुड़ु को एक समूह में रखा गया है। आसरा के लोक कलाकार जब भड़ाल्टू नृत्य की पौषाकें पहन कर मंच पर जाते हैं तो सभी दर्षक इस विलुप्त एवं दुर्लभ नृत्य को देखकर अच िभत हो जाते हैं। इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक पर्व में आसरा संस्था के लोक कलाकार देष-विदेष से आ रहे दर्षकों एवं पर्यटकों को हाटी संस्कृति की पहचान दिला रहे हैं।

जोगेन्द्र हाब्बी की अगुवाई में भड़ाल्टू नृत्य में चुड़े बोलो लाणी दे भेड़ो बाकरी चोरो शुड़ी देओ ले भढ़ाले, गीत में जैसे ही कलाकारों मंच पर प्रवेष किया तो दर्षकों की सीटियों और तालियों की गडग़ड़ाहट से पुरा मैदान गूंज उठा। द्वितीय गीत बोल केंईं नेईयां नाचा पीठीदा किंया चांगड़ो फांचा और अन्त में भड़ाले धेरिये चुड़े लाणी दे पांजड़ा गेआ बे आए गोआ नेइया भाटो घेना पूजणा लेआ बे, गीत के बोलो से कलाकारों ने मंच से प्रस्थान किया। पुरे नृत्य प्रदर्षन को दर्षकों ने बड़ी उत्सुक्ता व रोचकता से देखा और तालियों से कलाकारों का हौंसला बढ़ाया।

पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय व क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इस पर्व में प्रस्तुत किए जा रहे भड़ाल्टू नृत्य का शोध एवं गीतों का लेखन व संगीत ब( करने का कार्य महामहिम राष्ट्रपति से स मानित सुवि यात लोक लेखक एवं साहित्यकार श्री विद्यानन्द सरैक द्वारा कुछ वर्षों पूर्व किया गया है। भारत पर्व में अधिकतर लोक नृत्य जनजातीय संस्कृति को प्रदर्षित कर रहे हैं जिसमें हाटी संस्कृति प्रधान भड़ाल्टू नृत्य भारतवर्ष के सभी जनजातीय नृत्यों में अपनी अलग पहचान बनाते दषकों के मंनोरंजन व आष्चर्य का केन्द्र बना हुआ है।

 

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