(जसवीर सिंह हंस ) राज्य सरकार ने दो मैगा परियोजनाएं तैयार की हैं, जिनमें जल संरक्षण के माध्यम से किसानों की आय को दोगुणा करना तथा दूसरी पारियोजना राज्य के निचले पर्वतीय भागों में उप-उष्णकटिबंधीय बागवानी शामिल हैं। इन परियोजनाओं को शीघ्र बाह्य वित्तपोषण हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। यह जानकारी सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य तथा बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने आज यहां सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य तथा बागवानी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
श्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में सब-ट्रोपिकल फलों के अन्तर्गत केवल 81394 हेक्टेयर क्षेत्र है, जो राज्य में फल उत्पादन के अधीन कुल क्षेत्र का केवल 34 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस बात को मद्देनजर रखते हुए तथा किसानों को फलों की खेती अपनाने के लिए राज्य के निचले पहाड़ी क्षेत्रों में उप-उष्णकटिबंधीय बागवानी के संवर्द्धन के लिए एक महत्वकांक्षी परियोजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि परियोजना के वित्तपोषण के लिए भारत सरकार के माध्यम से ब्रिक्स तथा एशियन विकास बैंक इत्यादि बाह्य एजेंसियों को परियोजना के पहले चरण के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
श्री ठाकुर ने कहा कि इस परियोजना के अन्तर्गत पौध सामग्री आईसीएआर संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय तथा देश तथा देश के बाहर स्थित निजी क्षेत्र की प्रतिष्ठित और विश्वसनीय नर्सरियों से प्राप्त की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की रोपण सामग्री विभागीय नर्सरियों में भी तैयार कर किसानों को वितरित की जाएगी। इसके अलावा, किसानों को वितरण के लिए अच्छी किस्म की पौध सामग्री में गुणात्मक बढ़ौतरी की जाएगी जिसके लिये सरकारी नर्सरियों में बड वुड बैंक तथा उप-उष्णकटिवंधीय फलों की बेहतर किस्मों के बागीचे स्थापित किए जाएंगे।
मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित परियोजना के अन्तर्गत खुले क्षेत्रों तथा सुरक्षित ढांचों के अधीन सब्जियों तथा फूलों के वाणिज्यिक उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, किसानों को लाभान्वित करने के लिए फसल तैयार होने पर प्रभावी प्रबन्धन तथा विपणन सुविधाओं का सृजन किया जाएगा।श्री ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप प्रदेश सरकार राज्य के किसानों की आय को दोगुणा करने के प्रयास कर रही है, जिसके लिए सरकार ने किसानों की आय को जल संरक्षण के माध्यम से दोगुणा करने के लिए भी एक परियोजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि 110 मिलियन यूएस डालर की पहले चरण की योजना तैयार कर ली गई है और भारत सरकार के माध्यम से बाह्य वित्तपोषण के लिए भेजी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत जल संरक्षण पर बल दिया जाएगा, ताकि इसका प्रभावी तौर पर सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से किसानों को नकदी फसलों की खेती करने में मदद मिलेगी और सिंचाई के लिए उनकी वर्षा पर निर्भरता कम होगी।मंत्री ने कहा कि सूखाग्रस्त और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत जल संरक्षण तथा प्राकृतिक जल स्त्रोतों की रिचार्जिंग के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाया जाएगा। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को भारत सरकार के साथ दोनों परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से उठाने के निर्देश दिए ताकि इन्हें शीघ्र कार्यान्वित किया जा सके।
ख्य सचिव श्री विनीत चौधरी ने कहा कि ये परियोजनाएं कार्यान्वित होने पर राज्य के किसानों को वरदान साबित होंगी, क्योंकि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए नकदी फसलों की खेती को अपनाने की स्थिति में होंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डा. श्रीकांत बाल्दी, प्रधान सचिव बागवानी श्री जे.सी. शर्मा, प्रधान सचिव सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्री देवेश कुमार, प्रमुख अभियन्ता सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्री अनिल कुमार बाहरी, बागवानी निदेशक डा. एम.एस. राणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।