( धनेश गौतम ) देवभूमि कुल्लू में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की प्रवाह नहीं की जा रही है। यहां सरेआम धनासेठों द्वारा सुप्रीम कोर्र्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और संबंधित विभाग कथित तौर पर धना सेठों के पिछलगू बन गया है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली के मध्य बबेली में नेशनल हाईवे पर ही शराब का गोदाम खोला गया है और यहां पर करोड़ों की शराब की सेल की जा रही है।
यही नहीं नेशनल हाईवे में ही शराब के गोदाम मालिक ने शराब की मशहूरी का बोर्ड भी टांग दिया है। जबकि नियमानुसार नेशनल हाईवे पर शराब की सेल हो ही नहीं सकती है और शराब की मशहूरी नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश है कि नेशनल हाईवे के 220 मीटर के दायरे में शराब का कारोवार नहीं हो सकता है और शराब सेल नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के यह भी निर्देश है कि शराब की मशहूरी के लिए किसी भी तरह के फलैक्स या बोर्ड नहीं लगाए जा सकते हैं।
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लेकिन पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों को नहीं माना जाता है। मनाली में जहां मालरोड़ पर स्कूल वाउंडरी दिवार के साथ ही शराब का ठेका खोला गया है वहीं बबेली में शराब का गोदाम ही नेशनल हाईवे के साथ ही खोला गया है। स्थानीय कई लोगों व आने जाने वाले लोगों की हर दिन शिकयतें आ रही हैं कि यहां पर शराब के ठेकेदार सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
जनता की शिकायत पर जहां मीडिया की टीम घटनास्थल पर पहुंची तो नजारा देखकर दंग रह गई। यहां शराब का जो गोदाम खोला गया है वह नेशनल हाईवे में ही खोला गया है और वाकायदा शराब के इस गोदाम की वालपेंटिंग व बोर्ड लगाकर मशहूरी की गई है। हैरानी इस बात की है कि हर दिन यहां से पर्यटकों, आम जनता के अलावा सरकारी अधिकारी भी गुजरते हैं लेकिन किसी की नजर शराब के इस गोदाम पर नहीं पड़ी। उधर, अब जनता कई सवाल उठाने लगी है कि देवभूमि कुल्लू में अंधेर नगरी चौपट राजा का शासन चला हुआ है।
वहीं, आवकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों पर भी उंगली उठ रही है जनता सरेआम कह रही है कि कराधान विभाग के अधिकारी धना सेठों के आगे नतमस्तक हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने में कोई परवाह नहीं कर रही है। इस मामले में आवकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी अभी तक खामोश क्यों बैठे इस पर प्रश्र चिन्ह लग रहे हंै। अब कुछ बुद्धिजीवी वर्ग ने निर्णय लिया है कि यदि शीघ्र शराब का यह गोदाम नेशनल हाईवे से हटाया नहीं गया तो वे इसकी शिकायत सीधे सुप्रीम कोर्ट में करने जा रहे हैं।
वहीं विभाग के अधिकारियों के खिलाफ तरह-तरह की चर्चाओं का माहौल गर्म है। गौर रहे इस बार सरकार ने शराब के ठेेकों में पारदर्शिता लाने व अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलने के उद्देश्य से अलग-अलग ठेकों की निलामी की है ताकि पूरे जिला या क्षेत्र में एक ही धन्ना सेठ का आधिपत्य न रहे लेकिन सरकार के इस निर्णय के बाद ठेकों की निलामी तो अलग-अलग लोगों को हो गई किंतु अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में परवाह नहीं की जा रही है।
बताया जा रहा है कि ऐसे लोगों पर सरकार का भी आर्शिवाद है लेकिन जनता जानना चाहती है कि आखिर इस बार इस तरह नियमों की उल्लंघना क्यों की जा रही है। उधर इस विषय में उपायुक्त युनूस कुल्लू का कहना है कि उन्हें अभी तक इस तरह की शिकायत नहीं आई है यदि ऐसा है तो इस पर शीध्र कार्रवाई की जाएगी।