( धनेश गौतम )करोड़ों रुपयों की लागत से मणिकर्ण घाटी के बागवानों को खोली गई सब्जी मंडी बंद पड़ी है। सेब का सीजन चरम पर है और सब्जी मंडी इसलिए नहीं खोली जा रही इसका निर्माण पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार ने किया है। जिस कारण बागवानों को अपने घर द्वार में सुविधा होते हुए भी नहीं मिल पा रही है। मणिकर्ण घाटी में इस वर्ष सेब की बंपर फसल है लेकिन उन्हें अपने उत्पाद दूसरी सब्जी मंडी में पहुंचाने पड़ रहे हैं। गौर रहे कि पूर्व सरकार ने शाट सब्जी मंडी का निर्माण किया और सितंबर 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह सब्जी मंडी जनता को समर्पित की। यहां पर 12 लोगों को नियमानुसार दुकानें (फड़ )आवंटित भी हुई। इसके बाद यह सब्जी मंडी शुरू हुई और यहां दनादन काम भी चला। लेकिन फलों का सीजन के कारण सेशन क्लोज हुआ और अब भाजपा की सरकार वर्तमान सेशन में है लेकिन अब वहां पर लाइसेंस होल्डर आढ़तियों को काम करने नहीं दिया जा रहा है।
जबकि नियमानुसार उक्त आढ़तियों लाइसेंस 24 अप्रैल 2018 को रिन्यू भी हुए। इस बीच आढ़ती मार्किट कमेटी एपीएमसी को लाखों रुपए की कमीशन भी जमा कर चुके हैं। गत दिनों कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने भी इस सब्जी मंडी का निरीक्षण किया और शीघ्र बहाल करने का आश्वाशन दिया लेकिन सेब का आधा सीजन चले गया है और अभी तक सब्जी मंडी नहीं खुल पाई है। स्थानीय बागवानों का कहना है कि कुछ भाजपा के कथित नेताओ के कारण यहां इस मंडी को खोलने नहीं दिया जा रहा है। उक्त भाजपा के नेता इस सब्जी मंडी से कथित फायदा उठाने की फिराक में है और अब सरकार की धौंस बता कर करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित सब्जी मंडी पर ताला लगा रखा है। जबकि एपीएमसी ने नियमानुसार सभी औपचारिकताएं पूरी की है। बागवानों का कहना है कि भाजपा के लोग अब चाह रहे हैं कि अब यह सब्जी मंडी उनके हवाले की जाए और वे यहां मनमर्जी कर सके जबकि सरकारी काम नियमानुसार होते हैं और बाकायदा यहां की दुकानें टेंडर नोटिस प्रकाशित होने के बाद आवंटित हुई है। उधर अब आढ़ती एसोसिएशन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हैं और न्यायलय जाने की तैयारी में हैं। बहरहाल शाट सब्जी मंडी को राजनीतिक ग्रहण लग गया है और लाखों रुपए से निर्मित सब्जी मंडी बंद पड़ी है।