त्रिलोक की आलौकिक शक्तियां ग्रहण करेंगे देव श्री बड़ा छमाहूं ,फटेगी धरती और भू-गर्भ से निकलेंगी मधुमक्खियां

धनेश गौतम कुल्लू,12अगस्त। कलयुग में भी देव शक्तियां कितनी प्रबल हैं इसके जीते जागते उदाहरण हर दिन देव धरती हिमाचल में देखने को मिलते हैं। इसी कड़ी में कोठी बुंगा के गढ़पति सराज घाटी के आराध्य देवता देवश्री बड़ा छमाहूं के समक्ष ऐसा चमत्कार होने जा रहा है कि हर कोई देखकर अचंभित रह जाएगा। देव श्री बड़ा छमाहूं त्रिलोक के मालिक माने जाते हैं और अब तीनों लोकों की आलौकिक शक्तियां ग्रहण करने जा रहे हैं।

धरती फटेगी और भूतल से शक्तियों के रूप में मधुमक्खियां निकलेंगी और कतारबद्ध तरीके से देवरथ में इक_ा होकर समाहित होगी। इन दिव्य शक्तियों को ग्रहण करने का यह कायक्रम शीघ्र होने जा रहा है। इससे पहले देवता अपने क्षेत्र की परिक्रमा करते हैं और अंत में यह परिक्रमा लौल गांव में समाप्त होगी। इसके बाद लौल गांव की पहाड़ी जिसकी नाम जोगणी कंडा है में देवता विराजमान होंगे।

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जहां पर इस दिव्य शक्ति को ग्रहण करने का अनिश्चित कालीन कार्यकम शुरू होगा। दिव्य शक्ति कब प्रकट होती है यह कहना मुश्किल होता है लेकिन आज तक के इतिहास के मुताबिक यह शक्तियां 3, 5, 7, 9, 11, 13,15 ऐसे दिनों में कभी भी आ सकती है। इस समय देवता अपनी परिक्रमा में हैं और शनिवार सांय देवता धाऊगी गांव पहुंचेंगे। इसके बाद क नौण गांव पहुंचेंगे ओर फि र लौल गांव को रवाना होंगे। यहां पर जब शक्तियां ग्रहण करने जब देव रथ बैठता है तो उस समय क्षेत्र में काफी कठोर नियमों का भी पालन होता है।

आज तक जब-जब भी शक्तियां ग्रहण करने का यह कार्यक्रम हुआ तब.तब भूगर्भ से ही मधुमक्खियां निकलकर देवरथ में समाहित हुई हैं। इस दौरान देवता के पास वाद्ययंत्र की धुन में चार पहर पूजा होती है। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार जब भूगर्भ से मधुमक्खियां निकलती हैं तो वे लाइन में आगे बढ़ती हैं और देवता के मुख्य मोहरे में एकत्र हो जाती हैं। जब मोहरा पूरी तरह से मधुमक्खियों से ढक जाता है तो जिस स्थान से मधुमक्खियां निकल रही हैं उसे बंद किया जाता है। उसके बाद देवरथ में घुंडा डाला जाता है और देवरथ को वहां से मुख्य मंदिर दल्याड़ा के लिए रवाना किया जाता है।

मुख्य मंदिर में पहले से ही अन्य देवी.देवता के रथ विराजमान होते हैंए जिसमें 3 छमाहूं, देवी शक्ति व अन्य देवी-देवता मौजूद रहते हैं। शक्तियां ग्रहण करके जब देव श्री बड़ा छमाहूं का रथ मंदिर में प्रवेश करता है तब देवता के घुंडे को खोला जाता है और देवरथ में समाहित मधुमक्यिां अन्य देवरथों में भी चली जाती हैं। जिस-जिस देवरथ में मधुमक्यिां प्रवेश हुई उन-उन देवरथों में घुंडा डालकर अपन-अपने क्षेत्रों के  लिए रवाना किया जाताहै। इस तरह देव श्री बड़ा छमाहूं दिव्य शक्तियों को सभी देवी-देवताओं में वितरित करते हैं।

गौर रहे कि सराज में 4 छमाहूं हैं और इन्हें घाटी का आराध्य देव माना जाता है। देव श्री बड़ा छमाहूं सबसे बड़े भाई के रूप में माने जाते हैं। गौर रहे कि छमाहूं देवता सृष्टि का अवतार माने जाते हैं। छमाहूं का अथ 6 समूह देवताओं की सामूहिक शक्ति है। ब्रम्हा, विष्णू, महेश, आदी, शक्ति और शेष ही छमाहूं की सामूहिक शक्ति है। छमाहूं का अवतार सृष्टि की पुनर्रचना के दौरान हुआ है। बहरहाल सराज घाटी में देवशक्ति का परीक्षण होने जा रहा है।

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