प्रदेश वन विभाग के वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा बर्फानी तेन्दुए को बचाने के लिए चलाई जा रही संरक्षित हिमालयन परियोजना की समीक्षा बैठक आज यहां अतिरिक्त मुख्य सचिव वन तरूण कपूर की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वन ने इस अवसर पर कहा कि 7.23 करोड़ डॉलर लागत की इस परियोगजना को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मन्त्रालय भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ;न्छक्च्द्ध के माध्यम से देश के चार राज्यों-जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा सिक्किम में चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यह परियोजना इसी वर्ष से क्रियान्वित की जा रही है तथा इसकी कार्य अवधि छः वर्षों अर्थात 2024 तक निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को प्रदेश के लाहौल स्पिति एवं चम्बा जिला के पांगी क्षेत्र में चलाया जाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना के क्रियान्वयन से प्रदेश के इन दूरदराज क्षेत्रों में बर्फानी तेन्दुए एवं अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि परियोजना का उददेश्य उच्च हिमालय के अल्पाईन चारागाहों एवं वनों के सतत् प्रबन्धन को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि परियोजना से वैश्विक महत्व रखने वाली वन्य प्राणी, जिसमें वर्फानी तेन्दुआ शामिल है, के संरक्षण एवं उनके वास को बचाने में सहायता मिलने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को जीविकार्जन एवं उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
तरूण कपूर ने कहा कि स्थानीय लोगों की वनों पर निर्भरता रहती है, जिससे यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर हमेशा दबाब बना रहता है, जिसमें खास तौर पर औषधिय पौधों का गैर वैज्ञानिक दोहन, वन्य प्राणियों का अवैध व्यापार तथा वन्य प्राणी अपराध शामिल हैं। परियोजना के तहत इन खतरों को कम करने के लिए राष्ट्रीय उद्यानों के मध्य स्थित क्षेत्र जहां बर्फानी तेन्दुए व अन्य वन्य जीवों के वास स्थल हैं, उन स्थलों के प्रबन्धन पर विशेष बल दिया जाएगा ताकि वहां के संसाधनों का सतत् उपयोग कर जीविका अर्जित करने के क्षेत्रों में विविधता ला कर स्थानीय लोगों की आजीविका में वृद्धि की जा सके जिससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव की कमी एवं वन्य प्राणी अपराध को कम लाने में सहायता मिलेगी।
बैठक में प्रधान मुख्य अरण्यपाल (हॉफ) डा. अजय कुमार, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी), डा. आर.सी. कंग, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम परियोजना के तकनीकी सलाहकार डा. एस.के. खंडूरी, एच.एफ.आर.आई. शिमला एवं नौणी विश्व विद्यालय के विशेषज्ञ, परियोजना अधिकारी उत्तराखण्ड, पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय के अधिकारी, सिंचाई, पशुपालन, पर्यावरण एवं विज्ञान प्रद्यौगिकी विभागों के अधिकारी तथा राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं वन्य प्राणी प्रभाग के उच्च अधिकारी मौजूद रहे।