मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर ने संजय ठाकुर के उपन्यास ‘सुबह-शाम की धूप’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमन्त्री ने लेखक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह अद्भुत कृति साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
इस उपन्यास में संजय ठाकुर के कथाकार ने न केवल अपने आसपास के झूठ को अपितु मनुष्य के भीतर निरन्तर घटती-बढ़ती सच और झूठ की द्वन्द्वात्मक दुनिया को प्रामाणिकता, ईमानदारी तथा भाषा की पैनी धार के साथ उजागर किया है। इसके लिए उपन्यासकार ने आत्म-कथात्मक शैली का चयन किया है।