(धनेश गौतम )पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि चूहों के साथ मैं चुनाव नहीं लड़ता। यह जवाब उन्होंने पूर्व मंत्री सुखराम शर्मा के पौत्र आश्रय शर्मा के उस ब्यान का दिया है जिसमें आश्रय ने वीरभद्र सिंह को ललकारा था कि दम है तो मंडी लोकसभा से चुनाव लड़े। वे यहां सेऊबाग में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इससे पहले उन्होंने ढालपुर में कहा कि कौन
आश्रय में नहीं जानता
। सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को कोई दूसरी पार्टी नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी हराती है। उन्होंने मनाली विस क्षेत्र की सीट का हवाला देते कहा कि यहां पर हरी चंद शर्मा को भाजपा ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने हराया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कांग्रेसी पार्टी में कलंक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह देवभूमि कुल्लू में बहुत भावुक दिखे और
कांग्रेस पार्टी की हालत के बारे में चिंतित नजर आए। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज कांग्रेस बहुत बिखर चुकी है। यदि हम समय पर नहीं संभले तो यह और बिखर जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस बहुत कमज़ोर हो गई है अब उसे दूर करने की आवयकता है। उन्होंने कहा कि कांगेस एक संवैधानिक पार्टी है लेकिन कई सालों से पार्टी में चुनाव नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि ब्लॉक स्तर से लेकर हाईकमान तक के चुनाव चुनकर होते थे, सभी पदाधिकारी वोट देकर चुने जाते थे।
ब्लॉक से लेकर सैंटर तक कांग्रेस कमेटी के चुनाव होते थे लेकिन अब जो परंपरा नोमिनेटिड की हो गई है वह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है। पहले बाकायदा
कांग्रेस में सदस्यता होती थी और उसके बाद चुनाव होते थे अब चुनाव होते ही नहीं। जो भी पद पर बैठे हैं वह मनोनीत ही हैं ऐसे में पार्टी में उन लोगों को ही औहदे मिल रहे हैं जो जमीनी स्तर से नहीं जुड़े हुए हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि ऐसे में पार्टी नहीं चलती है।
उन्होंने कहा कि यह हमारी कमजोरी है हमें फिर से मैंबरशिप से काम करना चाहिए और ब्लॉक से
लेकर हाईकमान तक चुनाव होने चाहिए। वोट से नौजवान आगे आते हैं जब तक ताजा खून अंदर नहीं जाता तब तक गंदा खून बाहन नहीं आता। वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को कोई दूसरी पार्टी नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी हराती है। उन्होंने मनाली विस क्षेत्र की सीट का हवाला देते हुए कहा कि यहां पर हरी चंद शर्मा को भाजपा ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने हराया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कांग्रेसी पार्टी में कलंक हैं।