(जसवीर सिंह हंस ) आजादी के दशकों बीत जाने के बाद भी जातिगत भेदभाव मिटने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही मामला जिला कुल्लू के एक सरकारी स्कूल में सामने आया है। यहां मिड डे मिल के दौरान बच्चों को उनकी जाति के मुताबिक अलग-अलग लाइनों में बिठाया गया है। बच्चों के साथ हुए भेदभाव से फिर कड़वा सच सामने आया है।
इससे पहले ऐसे मामले सामने आने की वजह से हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने जाति आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए स्कूलों को निर्देश दिया था कि मिड-डे मील के दौरान बच्चों को उनके रोल नंबर के मुताबिक बिठाया जाए, लेकिन इसके बावजूद स्कूलों में इन निर्देशों कोई पालन नहीं हो पा रहा है। यह मामला सोशल मीडिया पर भी चला हुआ है। ग्राम पंचायत शिलीराजगिरी के उच्च विद्यालय में अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ किए गए भेदभाव के बारे में अनुसूचित जाति कल्याण संघ जिला कुल्लू ने कड़ा संज्ञान लिया है।
इस बारे में अनुसूचित जाति कल्याण संघ ने एक आपातकालीन बैठक भी की। अनुसूचित जाति संघ के जिलाध्यक्ष दिले राम ने बताया कि स्कूल में मिड-डे मील के दौरान दलित बच्चों के साथ हुए जाति भेदभाव का मामला सोशल मीडिया पर आग की तरह भड़क गया है। आरोप है कि अध्यापक व दोपहर भोजन कार्यकर्ता भी इस असंवैधानिक कार्य करने में शामिल है। बताया जा रहा है कि कई बार स्कूल प्रबंधन समिति और अन्य स्थानीय लोगों ने अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में कहा गया। मगर स्कूल में यह भेदभाव जारी है।
मामले को लेकर पंचायत के कुछ प्रतिनिधि भी स्थानीय अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मौके के लिए गए और वहां पर मामला सही पाया गया। बताया जा रहा है कि शनिवार को अनुसूचित जाति के बच्चों के अभिभावक स्कूल पहुंचे और मामले पर कड़ा रोष जताया । अनुसूचित जाति संघ के जिलाध्यक्ष दिले राम ने इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए उच्च शिक्षा उपनिदेशक से मांग की है। शिक्षा उपनिदेशक (उच्च) जगदीश ने बताया कि मेरे ध्यान में ऐसा मामला नहीं है।