हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुमार ने उमंग फाउंडेशन के साथ एक बैठक में कहा कि बेसहारा मनोरोगियों के मानवाधिकार संरक्षण के दायित्व के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल पुलिस संवैधानिक प्रावधानों, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह से पालन करेगी।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव और महासचिव यशवंत राय ने आज पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिदेशक के साथ एक बैठक की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। बैठक में संजय कुमार ने कहा कि हिमाचल पुलिस की पहचान देश में सबसे संवेदनशील पुलिस बल के रुप में की जाती है। उनका कहना था कि राज्य पुलिस बेसहारा मनोरोगियों और अन्य कमजोर वर्गों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहती है।
अजय श्रीवास्तव के अनुसार संजय कुमार ने कहा की बेसहारा मनोरोगियों से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 के प्रावधानों के बारे में सबसे पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के लिए शिमला में पुलिस मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा।इसके बाद निचले स्तर पर भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पुलिस महानिदेशक को सौंपे गए ज्ञापन में संस्था ने मांग की है कि हर पुलिस थाना स्तर पर बेसहारा मनोरोगियों की पहचान और कानून के तहत उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद इलाज के लिए अस्पताल भेजने का अभियान स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर चलाया जाए। हर थानाध्यक्ष को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत मनोरोगियों के मामले का भी प्रभारी घोषित किया जाए। इसके अलावा सभी पुलिस अधीक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 4 जून 2015 के आदेशों का सख्ती से पालन करने के लिए निर्देश दिए जाएं। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को बेसहारा मनोरोगियों से संबंधित कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन करने के आदेश दिए थे। संजय कुमार ने इन सभी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया।