वीरवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला सिरमौर देवेंद्र कुमार शर्मा की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। सजा के साथ आरोपी को 50 हजार जुर्माना भी लगाया गया है। जिला न्यायवादी मोहिंद्र कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि जुर्माना अदा न करने की सूरत में दोषी को 1 साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जिला न्यायवादी ने बताया कि दोषी वीरेंद्र सिंह उर्फ बिरू निवासी खुड़ द्राबिल तहसील ददाहू जिला सिरमौर ने 13 जनवरी 2015 को नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया।
जिसकी शिकायत नाबालिक की माता ने शिलाई पुलिस थाना में दर्ज करवाई थी। शिलाई विधानसभा क्षेत्र की सब तहसील रोनहाट के कौटी भौंच के नाबालिग के साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया था। दोषी का नाबालिक के घर आना जाना था। जब एक दिन नाबालिक की माता घर पर नहीं थी, तो वह नाबालिग को बहला फुसलाकर अपने घर ले गया और उससे नाबालिग के साथ शादी का प्रस्ताव रखा। जब नाबालिक दोषी के साथ उसके घर पहुंची, तो उसने देखा कि वह पहले ही शादीशुदा है और उसके 3 बच्चे भी हैं। उसकी पहली पत्नी भी गर्भवती है।
इस पर दोषी ने नाबालिग को किराए के एक कमरे में रोनहाट में रखा और फिर उसे वहां से शिमला ले गया। जहां पर आरोपी ने 20 दिनों तक नाबालिक के साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद दोषी उसे हरियाणा ले गया और जब 1 माह के बाद वह वापस आया। तो शिलाई पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा। दोषी ने जब नाबालिक के साथ संबंध बनाए, तो वह गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। जिसका पुलिस ने डीएनए करवाया, तो दोषी ही उस नवजात का जैविक पिता पाया गया। शिलाई पुलिस ने पूरे मामले में छानबीन कर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चालान पेश किया। इसी दौरान 17 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और उसके बाद वीरवार को अदालत ने दोषी विरेंद्र सिंह को 7 साल के कठोर कारावास व 50 हजार की सजा सुनाई।