( जसवीर सिंह हंस ) इसमें कोई दो राय नहीं है, कानून की नजर में जब तक आरोपी को न्यायपालिका दोषी करार नहीं दे देती, तब तक उसे बेकसूर ही माना जाता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राजनीतिक दलों को इसी बात को आधार बनाकर संगीन जुर्म के आरोपियों को तवज्जो देनी चाहिए या नहीं। दरअसल हुआ यूं कि हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर गुरु की नगरी पहुंचे थे।
सीएम को सम्मानित करने के दौरान मंच पर भाजपा समर्थित जिला परिषद सदस्य राम प्रसाद भी मौजूद थे। व जिला परिषद के सदस्यों से समानित कराते समय भी वो साथ थे | इससे कांग्रेस के लोग भाजपा की कथनी और करनी पर सवाल उठा रहे है की बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक नारा है भाजपा के लोग तो खुद बेटियो की हत्या कर रहे है और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंच पर बेटी की हत्या के आरोपियों के साथ मंच साँझा कर रहे है व उनसे सम्मानित हो रहे है |
हालांकि उस वक्त भी चर्चा शुरू हो गई होगी, लेकिन अब सोशल मीडिया में गुपचुप तरीके से चर्चा हो रही है। क्योंकि भाजपा जिला परिषद सदस्य पर गुमशुदा लडक़ी की लाश मिलने के बाद हत्या के कथित आरोप लगे थे। एक अरसे तक न्यायिक हिरासत में भी रहना पड़ा था। उस समय तक पुलिस की तफ्तीश में यह बात आई थी कि खेतों में लगाई गई बिजली की तारों से करंट लगने के कारण बच्ची की मौत हो गई, जिसके शव को गुपचुप तरीके से दफना दिया गया।
कुछ समय बाद शरीर का आधा हिस्सा बरामद होने से सनसनी फैल गई थी। व बाद में उसको जलाकर बाता नदी में बहा दिया गया था | बाद मे पुलिस अधीक्षक स्वय जाँच करने मोके पर पहुचे थे व फोरंसिक की टीम ने सबूत इकठे किये थे |
कुल मिलाकर यह पाठकों को ही तय करना है कि आरोपी रहे शख्स को मंच पर तवज्जो दी जानी चाहिए थी या नहीं। सनद रहे कि बच्ची जामनीवाला स्कूल में पढ़ती थी। गुमशुदगी के मामले ने काफी तूल पकड़ा था। बच्ची 7 अगस्त को लापता हुई थी, जिसकी लाश का कुछ हिस्सा 15 दिन बाद नदी के किनारे बरामद हुआ था।
उधर इस बाबत पांवटा साहिब के मंडल अध्यक्ष से पार्टी का पक्ष पूछा गया तो हल्के अंदाज में बोले, इसमें क्या हुआ अगर जिला परिषद सदस्य मंच पर मौजूद था। उन्होंने कहा कि करंट लगने से बच्ची की मौत हुई थी । जमानत भी कोर्ट ने ही दी है। बेकसूर भी साबित हो जाएगा। परन्तु ये तो वक्त ही बताएगा की क्या एक मासूम की मौत के जिमेवार लोगो को सजा मिलेगी क्या मासूम की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब उसकी मौत की जिमेवार लोग सलाखों के पीछे जायेगे | ये भी देखना है की कही राजनितिक पहुच से ये मामला कही समाप्त न हो जाये |