( जसवीर सिंह हंस ) राज्य विधानसभा के चुने हुए सदस्यों को एचआईवी/एड्स तथा क्षयरोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए आगे आना चाहिए ताकि समाज से इन बीमारियों को समाप्त किया जा सके और इन बीमारियों से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर किया जा सके। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यह बात गत सांय शिमला के पीटरहॉफ में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा विधानसभा सदस्यों के लिए एचआईवी/एड्स तथा क्षयरोग मुक्त हिमाचल अभियान पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तपेदिक रोग तथा एचआईवी/एड्स से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए आगे आना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों के संबंध में विधायक अपने संबंधित क्षेत्रों में जागरूकता उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों के उपयुक्त उपचार व निदान में सामाजिक रूढ़ीवादि मान्यताएं मुख्य बाधा हैं।
श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को वर्ष 2025 तक क्षयरोग मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि राज्य ने लोगों के समर्थन तथा चिकित्सकों की प्रतिबद्धता के साथ वर्ष 2021 तक हिमाचल प्रदेश को क्षयरोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए क्षयरोग के उपचार व निदान से जुड़े सभी तथ्यों पर विचार करने के उपरान्त एक प्रभावी कार्य योजना बनाना आवश्यक है। इसके अलावा प्रभावी शिक्षा, सूचना तथा संचार कार्यनीति भी तैयार की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषकर युवाओं में नशाखोरी के प्रचलन पर अंकुश लगाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रायः देखा गया है कि नशाखोरी तथा एचआईवी/एड्स का एक-दूसरे से गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि विशेषकर युवाओं में एचआईवी के जानलेवा प्रभावों तथा इसकी रोकथाम के संबंध में जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए। उन्होंने कहा हालांकि, हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मानक देश के अधिकांश राज्यों से बेहतर हैं, लेकिन बहुत कुछ किया जाना शेष है।
श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम का निचले स्तर तक प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एचआईवी/एड्स के बारे में व्यापक जन जागरूकता इस बीमारी को फैलने से रोकने में कारगर सिद्ध हो सकती है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिन्दल ने कहा कि इन बीमारियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में विधायक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने विधायकों के लिए इस प्रकार की कार्यशाला क आयोजन के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों की सराहना की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पर्याप्त प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान क्षयरोग उन्मूलन के लिए दो करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि एचआईवी/एड्स के बारे में लोगों की सोच में बदलाव जरूरी है तभी इस बीमारी से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री प्रबोध सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत किया।निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. बलदेव ठाकुर ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए विभाग की विभिन्न गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2021 तक क्षयरोग मुक्त बनाने के लिए विभाग समर्पण तथा प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगा। डॉ. राजेश ठाकुर ने एचआईवी/एड्स के उपचार तथा रोकथाम पर विस्तृत प्रस्तुति दी। क्षयरोग पर भी प्रस्तुति दी गई।शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री श्रीमती सरवीण चौधरी, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री वीरेन्द्र कंवर, विधायकगण तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।