सबसे पुराना है भारतीय कृषि पद्धति का इतिहास : राज्यपाल , ‘‘सी.आई.आई. हिमाचल एप्पल कान्क्लेव-2018’’ का आयोजन

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राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसानों के विकास से ही देश का विकास जुड़ा है। जब किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा, कृषि लागत कम होगी और तैयार उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक होगा तभी विकास सही अर्थों में आगे बढ़ेगा।
राज्यपाल आज यहां भारतीय उद्योग संघ की हिमाचल इकाई द्वारा आयोजित ‘‘सी.आई.आई. हिमाचल एप्पल कान्क्लेव-2018’’ की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारतीय कृषि पद्धति का इतिहास सबसे पुराना है और रसायनिक खेती करीब 40 वर्ष पुरानी है। रसायनिक खेती कर जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो गई, लागत बढ़ गई और केंद्र सरकार यूरिया पर ही 70 हजार करोड़ रुपये तक अनुदान दे रही है। उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान खेतों में जहर के रूप में भारी रसायन डाल रहा है।
यह विकास का रास्ता नहीं हो सकता। केवल सेब फल में ही 15 से 16 रसायनिक स्प्रे की जाती है और यही क्रम अन्न, सब्जियों व अन्य फलों में चल रहा है। जिस फल को खाकर हम स्वस्थ होने की बात करते हैं, वह रोग का कारण बने, ऐसा अभियान नहीं चलना चाहिए। इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को लेकर अभियान आरम्भ किया गया है। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है। इसके तहत प्रदेश भर में किसान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 5 और 6 अगस्त को शिमला के रोहड़ू में भी किसानों का विशाल शिविर आयोजित किया जाएगा जिसमें पद्मश्री डॉ. सुभाष पालेकर, जो शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के जन्मदाता है, इस पद्धति से किसानों को लाभान्वित करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य घोषित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
आचार्य देवव्रत ने इस दिशा में सी.आई.आई के प्रयासों की प्रशंसा की और उनके इस मॉडल को आगे बढ़ाने में सहयोग का आग्रह किया ताकि किसानों व बागवानों को व्यापक तौर पर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान बागवानों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा होगी, जिसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे।
प्रधान सचिव, उद्योग एवं बागवानी श्री आर.डी. धीमान ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा बागवानी के क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि की प्रासंगिकता अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का बागवान जागरूक है और इस दिशा में कार्य करेगा। उन्होंने सरकारी स्तर पर उच्च घनत्व में वृक्षारोपण व पैकेज ऑफ प्रैक्टिस से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एंटी हेलनेट पर 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है।
इससे पूर्व, सी.आई.आई हिमाचल प्रदेश राज्य परिषद् के उपाध्यक्ष  हरीश अग्रवाल ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा परिषद् की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।इस अवसर पर इण्डियन ऑयल कारपोरेशन के राज्य स्तरीय समन्वयक श्री अनिल कुमार ने भी राज्यपाल का स्वागत किया तथा कारपोरशन द्वारा सामाजिक दायित्वों की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।

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