( धनेश गोतम ) देवभूमि हिमाचल प्रदेश की लोक गायिका एवं रेडियो कलाकार कृष्णा ठाकुर को अंतरराष्ट्रीय लोक कला संस्कृति महापंजाब आवार्ड से सम्मानित किया गया है। प्रसिद्ध लोक गायिका कृष्णा ठाकुर को अंतरराष्ट्रीय महापंजाब लोक कला संस्कृति पुरस्कार से पंजाब के तरनतारन में नवाजा गया है।
यह आवार्ड कृष्णा ठाकुर को पंजाब राज्य के तरनतारन में अंतरराष्ट्रीय महापंजाब लोक कला संस्कृति सम्मेलन में दिया गया है। यह पुरस्कार वहां के स्थानीय विधायक व जालंधर दूरदर्शन के महानिदेशक ओम गौरी दत्त शर्मा के हाथों दिया गया। इस पुरस्कार के मिलने के बाद हिमाचली लोक कला व संस्कृति का नाम एक बार फिर विश्व में प्रसिद्ध हुआ है। कृष्णा ठाकुर ने को यह आवार्ड हासिल होने से हिमाचल सहित जिला कुल्लू में खुशी का माहौल है। यह कार्यक्रम तरनतारन में नेहरू युवा केंद्र, कला सुमन मंचा व दूरदर्शन द्वारा आयोजित किया जाता है।
कृष्णा ठाकुर किसी नाम की मोहताज नहीं है। क्योंकि प्रदेश के घर-घर में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक उनके लोक कला संस्कृति पर आधारित गीतों पर थिरकते हैं। कृष्णा ठाकुर जिला कुल्लू की ऐसी पहली महिला कलाकार है जिसने पुरूषों को मात देते हुए मंच पर आने की ठानी। एक समय था जब महिलाओं को चार दीवारी के अंदर ही रखा जाता था और उस दौर में कृष्णा ठाकुर ने लोक संस्कृति को बचाने व महिलाओं को चार दीवारी से बाहर निकालने की ठानी और समाज की परवाह किए बिना लोक संस्कृति को घर-घर तक पहुंचाया। यही कारण है कि आज उन्हें हिमाचली लोक संस्कृति का पुरोधा कहा जाता है और उन्हीं के कारण आज कई महिलाएं कला के क्षेत्र में आगे आई हैं।
कृष्णा के गीत उस समय से आज तक चले आ रहे हैं जब देश में रेडियो और दूरदर्शन के अलावा मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता था। उस समय जालंधर दूरदर्शन से कृष्णा के गीतों का प्रसारण होता था। कृष्णा ठाकुर ने सबसे छोटी उम्र में रेडियो कलाकार बनने का सौभाग्य प्राप्त किया है। दूरदर्शन पर आने वाले धारा रे गीत में तो कृष्णा ठाकुर की आवाज सुनकर लोग घरों-घरों में लोग थिरकने लगते थे। इसके अलावा कृष्णा ठाकुर ने हैदराबाद रेडियो, जयपुर रेडियो, शिमला रेडियो, आसाम रेडियो, सहित कई राज्यों के रेडियो पर अपना प्रसारण दिया है। इसके अलावा दूरदर्शन पर कई कार्यक्रम कृष्णा ठाकुर के हो चुके हैं। ढोला रा ढमाका कार्यक्रम में कई बार लाईव कार्यक्रम पेश कर चुकी है। कृष्णा ठाकुर वर्तमान में दूरदर्शन व रेडियो की बी हाई दर्जे के कलाकार है। इस दर्जे में आने पर कलाकार किसी भी राज्य के दूरदर्शन में जाकर गा सकते हैं। कृष्णा ठाकुर देवभूमि कुल्लू में स्टेज पर गाने वाली पहली महिला कलाकार है जिस कारण आज हजारों महिला कलाकार स्टेज पर उतरी हैं।
उधर, उपलब्धि पर जब कृष्णा ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वोह देश जिंदा है, जहां की संस्कृति व सभ्यता कलाओं में सुरक्षित रहती है। क्योंकि कला एक ऐसी विद्या है जो इंसान के अंदर है। हर इंसान के अंदर कला छुपी है और लोक संस्कृति व गायन एक ऐसी विधा है जिसे सब पसंद करते है। जो गा नहीं सकता है वह सुन सकता है, नाच सकता है और गुनगुना सकता है। उन्होंने कहा कि इस लोक नृत्य व लोकगायन के कारण आज हमारी संस्कृति, सभ्यता, वेशभुषा व पुरातन से पुरातन आभुषण, परिधान जीवित हैं। उन्होंने कहा कि कभी सपना देखा करती थी कि लुप्त हो रही संस्कृति व वेशभूषा जीवित हो। लेकिन आज उस समय खुशी होती है जब लोक संस्कृति में हजारों बेटियां आगे आई हैं और परिधान व वेशभूषा भी जीवित हो गई हैं।