निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य हिमाचल प्रदेश सतपाल मैहता ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश में अब 15 अगस्त 2018 तक प्रदेश के सामान्य जलों में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने बताया कि कमजोर मानसून व मत्स्य सहकारी समितियों की राय से बनी सहमति।
उन्होंने बताया कि मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश के सामान्य जलों में मछली के स्वतः प्रजनन पर गत चार-पांच वर्षों में मानसून के देरी से आने और सामान्य से कम वर्षा होने का अध्ययन करने पर पाया है कि जून- जुलाई में कम वर्षा होने के कारण प्रदेश के सामान्य जलों में मछली स्वतः प्रजनन नहीं कर पा रही थी जिसका इसके उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड रहा था। उन्होंने बताया कि प्रदेष के सामान्य जलों में मछली पकड़ने पर दो माह (1जून से 31 जुलाई तक) प्रतिबंध रहता था जिसमें मछली अक्सर प्रजनन करती थी परंतु पिछले 5 वर्षों के अध्ययन से विभाग ने यह तय किया कि मानसून समय पर नहीं आ रही है और वर्षा भी सामान्य से कम हो रही है तो इस स्थिति में मछली पकड़ने की अवधि को बढ़ाना आवष्यक है।
इस सन्दर्भ में प्रदेश के चारों जलाश्यों, गोबिंदसागर, पौंग डैम चमेरा व कोलडैम में कार्यरत सहकारी सभाओं से चर्चा कर इस अवधि को बढाने पर चर्चा की गई और उनकी सहमति बन जाने पर प्रदेश सरकार को विस्तृत प्रस्ताव इस अवधि को 15 दिन और बढ़ाने (15 अगस्त तक) का भेजा जिसे प्रदेश सरकार से सहर्ष स्वीकार करते हुए इसके आदेश जारी कर दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सामान्य जलों में मछली पकड़ने की अवधि को 31 जुलाई को समाप्त हो रही थी अब 15 दिन और बढ़ा कर इसे 15 अगस्त 2018 तक कर दिया गया है। ताकि प्रदेष के जलाष्यों, नदियों व झीलों में मछली स्वतः प्रजनन कर सके। उन्होंने आषा जताई कि इस निर्णय से जहां प्रदेश के जलाश्यों में कार्यरत मछुआरों की मांग को सरकार ने माना है वहीं इससे मत्स्य उत्पादन में भी वृद्वि होगी।