भारत के स्वास्थ्य मंत्री के प्रदेश / हि.प्र के मुख्यमंत्री के गृह जिला की 20 वर्षीय बेटी रेनू की बिन पैसे समय पर उपचार न होने से मौत हो गई जिस ने एकबार फिर से सिद्ध कर दिया है कि महिला दिवस मात्र ड्रामा है । बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ मात्र नारा है । नारी सशक्तिकरण की बात बेमानी है।
मुख्यमंत्री राहत कोष में करोड़ो किस काम के ???
जब से प्रदेश में सरकार बनी है । जनता विभिन्न मंचो पर मुख्यमंत्री राहत कोष में करोड़ो दान कर चुकी है । यदि यह पैसा गरीब,असहाय लोगो के स्वास्थ्य सेवा पर खर्च न हो सके तो यह दान और पैसा किस काम का ???
पैसों के अभाव में दम तोड़ गई 20 वर्षीय रेणुका, लीवर ट्रांसप्लांट के लिए नहीं हो सका पैसों का इंतजाम म। गरीबों के इलाज के लिए सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाएं 20 वर्षीय रेणुका को नया जीवन नहीं दे सकी। मंडी जिला के धर्मपुर निवासी रेणुका ने बुधवार सुबह पीजीआई चंडीगढ़ में पैसों के अभाव में दम तोड़ दिया।
मृतका रेणुका को पीलिया हो गया था और इस कारण उसके लीवर में इन्फेक्शन हो गया। डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट करने को कहा था और इस पर 25 से 30 लाख रुपयों का खर्च होना था। परिजन बीते करीब एक सप्ताह से अपनी बेटी को नई जिंदगी देने के लिए पैसों का इंतजाम करने दर-दर की ठोकरें खा रहे थे।
परिवार द्वारा मीडिया के माध्यम से भी मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन इससे भी बात नहीं बनी और समय पर उपचार नहीं हो सका। सरकार से भी मदद की गुहार लगाई गई थी लेकिन औपचारिकताएं पूरी करने को कहा गया जिससे पहले ही रेणुका ने दम तोड़ दिया। हालांकि अधिकतर दानी सज्जनों ने मदद के लिए हाथ आगे भी बढ़ाए थे, लेकिन उपचार के लायक पैसों का प्रबंध नहीं हो सका और एक युवती जिंदगी की जंग हार गई।
रेणुका की मौत ने व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों एक गरीब को समय पर उपचार के लिए आर्थिक मदद नहीं मिलती और उसे जिंदगी की जंग हारनी पड़ती है।