सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं व मत्स्य पालकों की कडी मेहनत से मत्स्य उत्पादन में बढौतरी की जा रहीं है। यह जानकारी राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के सौजन्य से राज्य के विभिन्न जिलों के 50 प्रशिक्षणार्थियों के तीन दिवसीय मत्स्य प्रशिक्षण शिविर के समापन पर सतपाल मैहता, निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोंधित करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि व निजी क्षेत्र पर 25.0 लाख की लागत से अनुसूचितजाति के व्यक्ति को 60 प्रातिशत व सामान्य जाति के लाभार्थी को 40 प्रतिशत अनुदान पर कुल 15.0 लाख व 10.0 लाख रूपये अनुदान सहायता प्राप्त करके हैचरियांे को निर्माण करवाया जा रहा है ताकि राज्य के मत्स्य पालकों को राज्य में ही अच्छी किस्म का मछली बीज उपलब्ध करवाया जा सके।
उन्होंने बताया कि जलाशय में मत्स्य उत्पादन की बढौतरी हेतु बडे आकार (80 से 100 मी॰ मी०) का मछली बीज संग्रहित किया जा रहा है। समय-2 पर जलाशय के मछुआरों को गिल जाल अनुदान जिसमें अनु॰ जाति के मछुआरों को 5000/- रु० प्रतिव्यक्ति तथा सामान्य जाति के मछुआरों को 2500/- रु० प्रतिव्यक्ति के गिल जाल अनुदान के रूप में प्रदान किए जा रहे है।
इस प्रशिक्षण शिविर में सुशील जनारथा उप-निदेशक मत्स्य (मुख्यालय), श्याम लाल शर्मा, सहायक निदेशक मत्स्य बिलासपुर, भुपेंन्द्र सिंह सहायक निदेशक मत्स्य उना, जगत पाल वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी दयोली, पंकज ठाकुर वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी व कांगड़ा, विवके शर्मा वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी गगरेट उना व डाॅ. सोमनाथ वरिष्ट मत्स्य अधिकारी नालागढ़ ने प्रशिक्षणार्थियों को विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के साथ-2 मत्स्य पालन सम्बंधी नवीनतम तकनीक की जानकारी दी, जिससे वह अपने तालाबों से मत्स्य उत्पादन को दो गुणा करके आय में बढ़ौतरी कर सके।