(अनिल छांगू )
प्रदेश में चल रहे निजी विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को गुणात्मक
शिक्षा व बेहतर सुरक्षा के दावे करके बच्चों केअभिभावको ंसे फीस के रूप में मोटी रकम
वसूलीजाती है लेकिन जिला कांगड़ा में स्थित अरनी विश्वविद्यालय में छात्रों की बेहतर सुरक्षा के दावों कीपोल खुल गई है यहां कालेज प्रशासन की लापरकिवाही के चलते एक छात्र अपाहिज अवस्था में जिदंगी की लडाई लड रहा है इस विश्वविद्यालय में फरवरी माह में होली केअवसर पर एक कार्यक्रम के आयोजन के समय एकछात्र साहिल ठाकुर मटकी तोड प्रतियोगिता में भाग लेतेहुए नीचे गिर गया जिससे उसे गंभीर चोट लग गईलेकिन कालेज प्रशासन ने न तो उसे अस्पताल पंहुचायाऔर न उसके अभिभावकों को भी तुरन्त सूचित कियागया घायल छात्र को उसके सहपाठी ही उसे अस्पताल लेगए जिससे इस विश्वविद्यालय की
बहुत बडी लापरवाही सामने आई है कि अखिर पहलेइतनी खतरनाक गेम के आयोजन को कालेज प्रशासन नेकैसे स्वीकति दी वहीं घटना के बाद भी कालेज प्रशासनने घायल छात्र को उसके सहपठियों के सहारे कैसे भेजदिया
साहिल ठाकुर निवासी मझार तह फतेहपुर के पिता निर्मल सिंह पठानिया ने इसघटना के लिए सीधे तौर पर कालेज प्रशासन को जिममेदार ठहराया है उन्हेंने कहा कि पहले तो ऐसीखतरनाक गेम को खिलाया गया जिसमें साफ तौर पर चोट लगने का खतरा था उसके बाद उनके बच्चे कोगंभीर चोट लगी लेकिन कालेज प्रशासन ने गंभीरता से नंही लेते हुए उनके घायल बच्चे को 2 छात्रों के सहारे पठानकोट अस्पताल भेज दिया और उन्हें बच्चे के घायलहोने की सूचना भी उन्हें नहीं दी गई उन्हेंने कहा कि यहदुख का विषय है कि इतना वडा विश्वविद्यालय है यहांहजारों बच्चे पढ रहे उनकी सुरक्षा कैसे संभव है जबकि यहाँ मेरे बेटे को कालेज प्रशासन अस्पताल तक नही पंहुचा सका
इस बारे विश्वविद्यालय के बाइस चासंलर एस सी वर्मा ने कहा कि उन्हेंने मटकी तोड जैसी गेम को खेलने की स्वीकति नही दी थी फिर भी यह गेम कैसे गई उसकी जांच की जा रहीहै वहीं उन्हेने माना कि घायल छात्र के अभिभावकों को सूचना देनी में देरी हुई कयोकि डे स्कोलरों के नम्बरअफिस में होते है जबकि उस समय अफिस बंद हो चुका था लेकिन कालेज में पढने वाली एक छात्रा ने अपने स्तरपर घायल छात्र के अभिभावकों को सूचना दे दी थी वहींउन्हेंने माना कि घायल छात्र को उसके सहपठियों केद्वारा पठानकोट अस्पताल ले जाया गया था लेकिन कुछही देर में विश्वविद्यालय के अध्यापक पठानकोट पंहुच गए थे