हिमाचल प्रदेश खराब गुणवत्ता की दवाएं बनाने में पंहुचा पहले स्थान पर |

नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ बॉयोलॉजिकल की ड्रग सर्वे रिपोर्ट ने हिमाचल की नींद उड़ा दी है। भारत में इसके बाद दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) क्षेत्र स्वास्थ्य मंत्रालय के रडार पर है। रिपोर्ट के अनुसार खराब गुणवत्ता की दवाएं बनाने में हिमाचल पहले स्थान पर है। देशभर में 371 दिन तक चले सबसे बड़े सर्वे से हिमाचल की छवि धूमिल हुई है।

देश के 40 उद्योगों की दवाएं मानको पर पूरी नहीं है जिनमें 18 हिमाचल के है। प्रदेश के 18 दवा उद्योगों में निर्मित 131 दवाओं को सुरक्षा पैमाने पर खरा नहीं पाया गया। फार्मा उद्योग जगत के लिए यह सर्वे बेहद चौंका देने वाला साबित हुआ है। विश्व मानचित्र पर भी रिपोर्ट का खासा असर पड़ सकता है।

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47012 दवाएं जांची

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा ने नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ बॉयोलॉजिकल (एनआइबी) को सर्वे रिपोर्ट बनाने का जिम्मा दिया। एनआइबी ने ड्रग सर्वे रिपोर्ट वर्ष 2014-16 को करीब 371 दिन की कड़ी मेहनत के बाद तैयार कर सरकार को सौंपी। इस पर 8.5 करोड़ रुपये खर्च आया। सभी 29 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व शहरों में मौजूद रिटेल आउटलेट और सरकारी स्त्रोतो से लिए करीब 47012 दवाओं के नमूनो का परीक्षण किया गया। इनमें से 1850 दवाओ को गुणवत्ता के पैमाने पर सही नहीं पाया गया। 13 दवाएं नकली पाई गई।

टीम ने देश के हर हिस्से से सैंपल लिए। सभी क्षेत्रों से सैंपल लेने के बाद दवाओं को परीक्षण स्थल पर एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में सामने आया कि दवाओं के टूटने यानी विघटन में अनियमितताएं नजर आई है। 1251 दवाओं में से 420 ऐसी दवाएं है, जो तोड़ने के समय मानको पर खरा नहीं पाई गई। 283 दवाओं को ऐसे में मानको पर सही नहीं पाया गया। 249 दवाओं पर दशाई शर्ते व दवा के भीतर के कंटेट में हेरफेर पाई गई है। अन्य कई दवाओं में कंटेट की कमी पाई गई। करीब 28 तरह के तय मानकों पर 1251 दवाएं सही नहीं पाई गई है।

5717 रिटेल आउटलेट से लिए नमूने

देशभर में करीब 5717 रिटेल आउटलेट से अलग-अलग बीमारियों की दवाओं के नमूने लिए गए। इसमें पेट दर्द, बुखार, सर्दी, खांसी, दर्द निवारक, एंटी एलर्जिक, सिरदर्द सहित कई तरह की 177 दवाओं के सैंपल लैब में जांचे गए। इनमें गोलियां, कैप्सूल, लिक्विड, पाउडर, सस्पेशन, इंजेक्शन, जैल, बल्क ड्रग समेत 25 किस्मों के प्रोडक्ट को परीक्षण के लिए उठाया गया था। सैंपल में 899 दवाओं के सैंपल मानको पर खरे नहीं उतरे। हिमाचल प्रदेश में मौजूद 2688 रिटेलर आउटलेट में से 27 पर टीम ने सैपल लिए जिनमें से नौ के सैंपल सब स्टैंडर्ड पाए गए है। देशभर में करीब 61.3 फीसदी रिटेल आउटलेट पर पाया मेटिरियल सब स्टेडर्ड होने के संकेत दिए गए है। सर्वाधिक सैंपल महाराष्ट्र के 652 आउटलेट से लिए गए। इनमें से 88 दवाओं के सैंपल नॉट ऑफ स्टेडर्ड निकले है।

‘देश के प्रत्येक राज्य से दवाओं के सैंपल लिए गए थे। इस आधार पर रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपी गई है। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देश पर तैयार रिपोर्ट को वेबसाइट पर डाल दिया गया है।’-डॉ. सुरेंद्र  सिंह, निदेशक, नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ बॉयोलॉजीकल नोयडा

देश के इन 22 उद्योगों की दवा का सैंपल फेल

हालेवुड लैबोरेट्री गुजरात, रिडली लाइफा सांइस दिल्ली, इंडीकैमी हेल्थकेयर सिक्किम, नितिन लाइफ सांइस हरियाणा, बायोकैम फार्मास्यूटिकल दमन, स्काइमैप फार्मास्यूटिकल उलाराखंड, जीएस फार्मास्यूटिकल उलाराखंड, सिपल लिमिटेड दमन, एकमे डाइट केयर गुजरात, विंटोकैम फार्मास्यूटिकल मध्य प्रदेश, पीफाइजर लिमिटेड महाराष्ट्र, कोर्टेन फार्मास्यूटिकल महाराष्ट्र, कोटेक हेल्थकेयर उतराखंड, प्योर एंड केयर हेल्थकेयर उतराखंड, मैप्रोमैक्स लाइफ सांइस उतराखंड, सन फार्मा लैबोरेट्री गुजरात, नियोन लैबोरेट्री महाराष्ट्र, प्रिंट्रल ड्रग्स मध्य प्रदेश, शाइन फार्मास्यूटिकल गुजरात, टोरेट फार्मास्यूटिकल गुजरात, मप्रा लैबोरेट्री दमन व शिवालिक रैमीडीज उतराखंड

हिमाचल के इन 18 उद्योगों के दवा सैंपल फेल

शिवा बॉयोजेनेटिक फार्मास्यूटिकल, नियोल फार्मा, स्कॉट ऐडिल फार्मेसिया, जी लैबोरेट्री लिमिटेड, क्रिसेट थ्रिप्यूटिकल्स लिमिटेड, लैबोरेट फार्मास्यूटिकल इंडिया, आरके लैबोरेट्री, इनोवा कैपटैब लिमिटेड, ऐलेम्बिक फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, प्रिंट्रल ड्रग्स इंडिया उद्योग, ईजी फार्मास्यूटिकल, साईटेक मैडिकेयर, तिरूपति मेडिकेयर, बॉयोजेनेटिक ड्रग्स, बीआरडी मैडिलैब्स, प्रीत रेमिडीज, सिरमौर रेमिडीज, अंकुर ड्रग्स एंड फार्मा कंपनी

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