जिला में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए आवश्यक है कि बच्चों को दस्त जैसी बीमारी से बचाया जाए। उपायुक्त विवेक भाटिया ने सोमवार को “डायरिया नियंत्रण” पखवाडे के आरंभ अवसर पर बोलते हुए कहा कि दस्त के कारण किसी भी बच्चे की मृत्यु न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग व्यापक रूप से इस पखवाडे़ में न केवल लोगों को जागरूक ही करेगा अपितु घर-घर जाकर जिंक की गोली और ओआरएस घोल के पैकेट भी उपलब्ध करवाएगा। उन्होंने कहा कि अज्ञानता और स्वच्छता की कमी के कारण 5 वर्ष तक के बच्चों में दस्त के कारण होने वाली अकाल मृत्यु की संभावनाओं को कम करने के लिए जिला भर में सघन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन 4 जून से 17 जून तक किया जा रहा हैे।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में ओआरएस घोल, जिंक कार्नर स्थापित किए गए है जहां इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों को तत्काल यह दवाईयां पिलाई जांएगी तथा अभिभावकों को इस दवाई को बनाने की विधि भी बताई जाएगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्र व शिक्षण संस्थानों में बच्चों को उचित तरीके से हाथ धोने बारे जागरूक किया जाएगा ताकि जलजनित रोगों से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को प्रातः कालीन सभाओं में डायरिया नियंत्रण के लिए जागरूक किया जाएगा तथा उचित ढंग से हाथ धोने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने जल स्त्रोतों की नियमित सफाई व हाथों की बेहतर धुलाई की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा की खुलें में शौच के कारण भी इस बीमारी के फैलने की सम्भानाएं प्रबल रहती है। उन्होंने कहा कि अपने परिवेश को स्वच्छ और सुन्दर बनाएं रखे ताकि शिशुओं तथा आमजन के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।
सीएमओ वीके चैधरी ने बताया कि ज़िला में लगभग 30 हज़ार से भी अधिक पांच साल से कम आयु के बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि ज़िला में एक क्षेत्रीय चिकित्सालय, तीन सिविल हास्पिटल व आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 39 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व 119 उप स्वास्थ्य केन्द्रों के अतिरिक्त एक हज़ार 111 आगंनवाड़ी केन्द्रों में डायरिया नियंत्रण के लिए ओ.आर.एस. घोल व जिन्क की सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी इसके अतिरिक्त प्रवासी बच्चों को भी डायरिया नियंत्रण के लिए दवाईयां पिलाई जाएंगी।