मानव सभ्यता के उद्गम में गुफाओं, पेड़ों की ओट या खुले नीले आकाश के नीचे जीवन जीने को मज़बूर आदमी ने विकसित होती सभ्यता के साथ-2 अपने बसेरे के लिए घास-फूस, लकड़ी और बांस की झोपडियों का स्वरूप भी विकसित किया
युगों के लबें अंतराल के पश्चात आधुनिक युग में प्रवेश करते मानव ने मकानों, महलों, आलीशान भवनों की जो भव्य तस्वीर बनाई उस तस्वीर के सुनहरे हाशिये के साथ काली लकीर के बाहर करोड़ो ऐसे परिवार भी है जिनके पास आज भी अपना आवास नही है। झुग्गी झोपडियों और टुटे फुटें कच्चे मकानों में अपना जीवन बसर कर रहें करोड़ों लोगों की अपने घर की ख्वाहिश को इनकी गरीबी और लाचारी पुरा नही होनी देती।
केवल भारतवर्ष के शहरों के दो करोड़ और गांव के तीन करोड़ से भी अधिक परिवार ऐसे है जो अपनी भूमि न होने और कमज़ोर आर्थिक स्थिति के कारण अपने बल बूते पर अपना मकान बनाने के सपने को साकार करने में असमर्थ है।
बेघर निर्धन गरीब परिवारों के जीवन में अपनी चार दीवारी के सपने की तस्वीर को, केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा रंग भरने की जो अनुठी पहल, भारतवर्ष में 25 जून, 2015 में आरंभ हुई उसके सार्थक प्रभावी परिणाम भी आने आरम्भ हो गए है।
वर्ष 2022 में आज़ादी की 75वीं सालगीर तक भारतवर्ष के गरीब से गरीब व्यक्ति के पास अपना घर हो इस संकल्प की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सबका साथ – सबका विकास करके देश के आर्थिक रूप से कमज़ोर नागरिकों को अपना आवास निर्मित करवा कर सम्मान प्रदान किया जा रहा है। सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक इस योजना के तहत देश में 5 करोड़ आवास निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्धन से निर्धन व्यक्ति के पास रहने के लिए अपना घर की परिकल्पना को मूत्र्तरूप देने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारें अत्यन्त गम्भीरता से लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तेज़ी से कार्य कर रही है ताकि कोई भी पात्र आवासहीन इस योजना का लाभ प्राप्त करने से वंचित न रह जाए।
प्रधानमंत्री आवास योजना जहां एक ओर गरीबों का अपनी छत अथवा आवास का सपना साकार कर रही है वहीं युवा बेरोज़गारों को रोज़गार उपलब्ध करवा कर आर्थिक प्रगति की नई ईबारत भी लिख रही है। नए मकानों के निर्माण के लिए भवन निर्माण सामग्री की बिक्री के अतिरिक्त लाखों मिस्त्री और कामगारों को इस योजना के तहत रोज़गार के अवसर सुलभ हो रहे है।
आर्थिक रूप से पिछड़े लोग जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रूपये या इससे कम हो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत एक लाख 65 हज़ार रूपये की राशि नए घर के निर्माण या पुराने घर के विस्तार के लिए उपलब्ध करवाई जाती है। लाभार्थी परिवार में पति पत्नी और अविवाहित बच्चें शामिल रहेंगे। लाभार्थी परिवारों के पास या उसके नाम से पका मकान नही होना चाहिए। मतदाता पहचान पत्र, आधार काॅर्ड व सम्बधित ज़िले के राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज नाम के अतिरिक्त दस्तावेज़ी प्रक्रियाओं के पश्चात सीधे तौर पर लाभार्थी के खाते में किश्तों के रूप में स्वीकृत राशि उपलब्ध करवाए जाने का प्रावधान है।
आवास निर्माण के लिए लाभार्थी को निर्माण एजैन्सी द्वारा निशुल्क आवासों के नक्शे भी उपलब्ध करवाए जाते है। लाभार्थी अपनी इच्छाानुसार भी मकान का अलग से नक्शा बनवाकर गृह निर्माण कर सकता है। आवास निर्माण के लिए 30 वर्ग मीटर का क्षेत्र निर्धारित है जबकि दिवारों व छज़े सहित यह क्षेत्र 39 वर्ग मीटर तक होगा।
प्रधानमंत्री के आवास शहरी योजना के पात्र व्यक्ति के निर्धारण के लिए वार्ड वाइज़ सर्वक्षण किया जाता है और निर्धारित दस्तावेज़ी प्रक्रियों को पूर्ण करने पश्चात लाभार्थी को इस योजना का लाभ उठाने के लिए निर्धारित पात्र स्वीकार किया जाता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत निर्धन परिवारों के पात्र व्यक्तियों हेतु जिला बिलासपुर में आवास निर्माण के लिए 2 करोड 36 लाख 75 हज़ार रुपये व्यय किए जा चुके है।
इस योजना के अंतर्गत नया घर बनाने एवं घर के विस्तार के लिए 345 पात्र लाभार्थियों के आवेदन स्वीकृत हुए है। इन में से 186 लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र जारी किए गए जिनमें से 98 लाभार्थियों के घरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है तथा शेष लाभार्थियों के घरों के निर्माण कार्य प्रगति अथवा अंतिम चरण में है।
जिला में इस योजना के अंतर्गत इसके अतिरिक्त 2 नए डी. पी. आर. (विस्तार परियोजना विवरण) भी स्वीकृत हुए है प्रथम डी. पी. आर. में 257 घरों के विस्तार तथा 88 नए घरों के निर्माण तथा दूसरे डी. पी. आर. में 30 घरों के विस्तार व 7 नए घरों के निर्माण किए जाएगें।
सबका साथ – सबका विकास का सरकार का संकल्प न केवल नए युग का सूत्रपात ही कर रहा है अपितु ज़रूरतमंदों के दर्द को समझकर आवास निर्माण के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाकर गरीबों के जीवन से तनाव, तकलीफों और अभावहीनता को खत्म करके खुशियों, उमंगों और आत्मसम्मान का भाव लाकर बदलाव के सैलाब को भी गति दे रहा है।