पूछे सवाल ठेकेदारों को मीडिया के स्पैशल पास देने का किसने दिया अधिकार
प्रेस रूम में बैठक कर प्रेस गैलरी में रिश्तेदारों को बिठाने की कड़े शब्दों में निंदा
(धनेश गौतम) दशहरा कमेटी के खिलाफ कुल्लू में पत्रकार उग्र हुए हैं। सात दिनों में दशहरा पर्व के दौरान कुल्लू में जो पत्रकारों के साथ जो व्यवहार हुआ उसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई है। प्रेस रूम कुल्लू में पत्रकारों ने बैठक कर प्रशासन की नाकामियों की एक-एक करके पोल खोल दी। सामुहिक तौर पर सभी पत्रकारों ने आरोप लगाए हैं कि प्रशासन ने अपने चहेतों व रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थानीय मीडिया को दरकिनार करने की भरपूर कोशिश की।
पत्रकारों ने प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि ठेकेदारों को मीडिया के स्पैशल पास देने का अधिकार प्रशासन को किसने दिया है जिन ठेकेदारों पर प्रशासन ने लाखों रूपए बहाए उनको ही स्पैशल पास दिए गए और फ्रॉड मीडिया की फौज खड़ी करके स्थानीय मीडिया के सर पर बिठा दी गई। मीडिया की हर सुविधा में कटौती करके इन चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। यही नहीं अंतिम संध्या में प्रेस गैलरी में प्रशासन ने अपने रिश्तेदारों को विराजमान करवाया और मीडिया को जमीन नसीब हुई। जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई है।
गौर रहे कि दशहरा पर्व में प्रेस गैलरी में बैठने के लिए गेट पास प्रशासन द्वारा नियमानुसार दिए जाते हैं। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी की पहचान के बाद एसपी कुल्लू से बैरिफाई करके पास दिए जाते हैं और इस बार भी ऐसा ही हुआ। लेकिन स्थानीय पत्रकारों को तो यह सारी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ी लेकिन इसके बाद प्रशासन ने कुछ ऐसे लोगों को मीडिया के प्रिंटिड पास जारी किए जिसमें बड़े-बड़े शब्दों में मीडिया लिखा था। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि प्रशासन ने यह मीडिया की एक ऐसी फौज खड़ी कर डाली है जो पूरी तरह से फ्रॉड है।
यही नहीं रथयात्रा के दौरान मीडिया को कबरेज के लिए रथ मैदान में बड़े-बड़े स्टैंड लगाए जाते हैं। इन स्टैंडों पर लाइव दिखाने वाले कैमरामैन व स्थानीय पत्रकारों को बिठाया जाता था लेकिन इस बार लाइब रिपोर्टरों के अलावा इन स्टैंडों पर भी फ्रॉड मीडिया की इस फौज ने कब्जा कर रखा था। जिस कारण पूरी व्यवस्था बिगड़ गई और स्थानीय मीडिया दरकिनार होता रहा । पत्रकारों ने स्पष्ट कहा है कि प्रशासन की नालायकी के कारण यह सारी व्यवस्था बिगड़ी है। हालांकि इस बार मीडिया ने प्रेस गैलरी में मीडिया पर्सन संतोष धीमान को गैलरी की सुरक्षा की जिम्मबारी सौंपी थी और चार दिन तक व्यवस्था सही चली और सभी मीडिया कर्मियों को बैठने की उचित जगह मिल पाई लेकिन बाद में प्रशासन के अधिकारियों के हस्तक्षेप व फ्रॉड मीडिया की फौज ने सारी व्यवस्था बिगाड़ डाली। बहरहाल प्रशासन के इस व्यवहार से मीडिया पूरी तरह से आक्रोशित है।
प्रेस गैलरी पर प्रशासन के रिश्तेदारों का कब्जा, पत्रकार बैठे जमीन पर
-दशहरा पर्व में रिश्तेदारों की खातिरदारी में जुटे रहे प्रशासन के अधिकारी
कुल्लू दशहरे में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही सबके सामने आ गई। दशहरे में करोड़ों का धन एकत्रित होता है और उसे प्रशासनिक अधिकारी अपनी मर्जी से खर्च करते हैं। ऐसे में अधिकारी जहां अपने लिए हर सुविधा का ध्यान रखते हैं और अपने साथ आए रिश्तेदारों की भी खातिरदारी में जुटे रहते हैं।
इस बार के दशहरा पर्व में तो रिश्तेदारों की खातिरदारी की तो प्रशासन ने हद कर दी। प्रेस गैलरी की सीटों पर जहां अपने रिश्तेदारों को विराजमान करवाया। वहीं स्थानीय पत्रकारों को बैठने के लिए मात्र चटाई भी नहीं दी गई। लिहाजा मीडिया कर्मियों ने प्रेस गेलरी का बहिष्कार किया और गेलरी के आगे जमीन पर बैठकर कबरेज की। हैरानी तो तब हुई जब मीडिया को जमीन पर देखा गया तो प्रशासन के अधिकारी एक-एक करके कलाकेंद्र छोड़ते नजर आए।
मिडिया एक आईने की तरह होता है जो हर बात को संचार के माध्यम से जनता तक पहुंचता है। मगर कुल्लू प्रशासन ने मिडिया की इज्जत तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अधिकारियों ने जहां अपने लिए काजू, बादाम और सूखे मेवे मंगवाए, वहीं, स्थानीय मिडिया को पानी तक की सहूलियत नहीं दी गई। अधिकारियों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों को बैठने के लिए सोफे मंगवा दिए मगर पत्रकारों को जमीन थमा दी। प्रशासन की यह बेरुखी देखकर बाहर से आए कई संबाददाता गेट पर से ही लौट गए। हालांकि मिडिया प्रशासन से किसी प्रकार की मांग नहीं करती है। मगर प्रशासन का भी दायित्व बनता है कि मिडिया को सही स्थान और इज्जत दें। लेकिन कुल्लू प्रशासन ने जिस प्रकार से यहां कलम के सिपाहियों को शर्मसार किया, उससे सारा मिडिया जगत दुखी है।
हालांकि बहुत से पत्रकार अपनी बेइज्जती देख कर यहां से चले भी गए। मगर जो रह गए उन्हें हाशिय पर धकेल दिया गया और जमीन पर बैठने का इशारा कर दिया गया। यह मौका था कुल्लू दशहरे की अंतिम संध्या का जहां प्रशासन ने पत्रकारिता का तमाशा बनाने की कोई भी कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में सवाल उठना यह भी लाजमी है कि क्या कुल्लू दशहरे में जो करोड़ों रुपए एकत्रित होते हैं, वह प्रशासनिक अधिकारियों के रिश्तेदारों पर उड़ाने के लिए होते हैं क्या। प्रशासन के इस व्यवहार का पत्रकारों ने कड़ी शब्दों में निंदा की है।