( जसवीर सिंह हंस ) यदि मन में कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। जरूरत है सिर्फ कड़ी मेहतन और लग्न से कार्य करने की। इसे चरितार्थ कर दिखाया है लानाचेता की रंजना कुमारी ने। रंजना कुमारी का चयन हिमाचल लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित परिणाम में एजूकेशन विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) पद के लिए हुआ है। खास बात यह है कि रंजना ने अपने पहले ही अटेंप्ट में यह परीक्षा पास कर ली है। वर्तमान में रंजना सीनियर सेकेंडरी स्कूल फागू में पीजीटी बॉयोलॉजी पद तैनात हैं। रंजना का पैतृक गांव पालू हैं। इनकी शादी श्रीरेणुकाजी विस के नौहराधार के थनगा में हुई है जबकि वर्तमान में यह लानाचेता मे रहती हैं।
इनके पिता देवेंद्र दत्त शर्मा बैंक प्रबंधक के पद से रिटायर है और माता इंदिरा शर्मा ग्रहणी है। इनके पति केशव शर्मा गवर्नमेंट मिडिल स्कूल को टीजीटी आट्र्स के पद पर हैं। रंजना की प्राथमिक शिक्षा एसवीएन पब्लिक स्कूल राजगढ़ में हुई। इसके बाद छठी से लेकर जमा दो तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन से इन्होंने पूरी की। रंजना ने 2005 में मेडिकल गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गल्र्ज सैक्टर 11 चंडीगढ़ से 81.62 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी की। 2007 में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से एमएससी 76 प्रतिशत अंकों से साथ की। 2008 में बीएड कॉलेज राजगढ़ से रंजना ने बीएड की। इसके बाद एचपीयू शिमला से एमएड किया।
रंजना ने एजूकेशन विषय में यूजीसी नेट और जेआरएफ 2008 में पहले ही प्रयास में अतीर्ण किया। रंजना ने बीएससी और एमएससी में डिस्ट्रक्शन हासिल की है। इसके अलावा टीजीटी मेडिकल, पीजीटी बायोलॉजी, यूजीसी नेट जेआरएफ इन एजुकेशन और अब एजुकेशन विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) भी पहले प्रयास में ही उतीर्ण किया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। रंजना कुमारी अपने पिता देवेंद्र दत्त शर्मा को अपना रोल मॉडल, मोटिवेटर गाइड मानती है। इसके अलावा ससुराल पक्ष से अपनी सास तारा देवी, ससुर बाला दत्त और पति केशव शर्मा को भी अपनी इस उपलब्धि के लिए उतना ही श्रेय देती है।
रंजना का कहना है कि सास-ससुर और पति के सहयोग से यह मुकाम हासिल हो पाया है। रंजना का सपना है कि वह पीएचडी करें। रंजना ने बताया कि वह भविष्य में भी अपनी पढ़ाई जारी रखेंगी। अपने नाम के साथ डॉ. जोडऩा उनका सपना है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को हमें अच्छी से अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें लायबिलिटी न समझ ऐसेट की तरह रखना और पढ़ाया जाना चाहिए, जैसा कि उनके पिता ने किया। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य को साधे, सही दिशा में तैयारी करें और उसके साथ न्याय करें। सबसे ज्यादा स्वयं पर भरोसा रख कर आगे बढ़े। खुद को अपना प्रतिद्वंदी बनाएं।
उन्होंने कहा कि जो लोग पहले या दूसरे प्रयास में असफल हो जाते हैं वह हताश न हो और आगे बढ़ते रहें। क्योंकि मेहनत और ईमानदारी का फल कभी न कभी अवश्य प्राप्त होता है, जरूरत है तो सिर्फ धैर्य रखने की। उन्होंने बताया कि एजुकेशन सब्जेक्ट 9 वर्षों के बाद पढऩा और कॉलेज कैडर के लिए रिपेयर करना काफी मुश्किल था लेकिन असंभव नहीं। उन्होंने मेहनत की और इस बलबूते आज यह मुकाम हासिल भी कर लिया अपनी इस उपलब्धि से वह बहुत खुश हंै।