हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के हालिया घटनाक्रम पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी ने होटल कोम्बरमेयर शिमला में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। प्रेस वार्ता में पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य संजय चौहान,सचिवमण्डल सदस्य डॉ कुलदीप तनवर,राज्य कमेटी सदस्य विजेंद्र मेहरा व बलबीर पराशर आदि मौजूद रहे। पार्टी ने प्रदेश सरकार से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व अन्य शिक्षण संस्थानों में आरएसएस द्वारा चलाई जा रही शाखाओं पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। पार्टी ने प्रदेश सरकार को दो टूक कहा है कि अगर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आरएसएस व एबीवीपी की हिंसा पर रोक न लगाई गई तो प्रदेश सरकार को इसके गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।
पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से मांग की है कि पुलिस प्रशासन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच करे व एसएफआई के छात्रों पर की जा रही एकतरफा कार्रवाई को बन्द करे व कानून व्यवस्था सुनिश्चित करे।
पार्टी ने तय किया है कि इस मसले को लेकर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपेगा व कार्रवाई की मांग करेगा क्योंकि चुनाव आचार संहिता के दौरान आरएसएस के दर्जनों कार्यकर्ताओं द्वारा डंडों के साथ पूरे प्रदेश व शिमला शहर में की जा रही शाखाओं से प्रदेश में हिंसा व अराजकता का खतरा है व यह चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन है,इसलिए चुनाव आयोग तुरन्त हस्तक्षेप करे व इस दौरान शाखाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए पार्टी राज्य सचिवमण्डल सदस्य व शिमला नगर निगम के भूतपूर्व महापौर संजय चौहान ने प्रदेश सरकार पर आरएसएस व एबीवीपी को अराजकता व हिंसा करने की खुली छूट देने व सरकार संघ द्वारा संचालित होने का आरोप लगाया। सरकार अपना संवैधानिक उत्तरदायित्व निभाने के बजाय संघ के एजेंडा को लागू करने का कार्य कर रही है। सरकार के विभिन्न विभागों में आरएसएस से जुड़े लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाकर सरकार में इनका दखल बढ़ाया गया है जिससे सरकार पूर्णतः आरएसएस के दिशानिर्देशन से चल रही है।
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा तथ्यों को बिना जांचे परखे बयानबाजी करने के घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया व इसे उनकी अनुभवहीनता व संघ के प्रति अंधभक्ति बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आरएसएस के नौसिखिए कायकर्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं व खुद को मुख्यमंत्री के बजाए आरएसएस कार्यकर्ता मानकर चल रहे हैं। उनके बयानों में पक्षपात साफ दिखाई दे रहा है व वे अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करने के बजाए संवैधानिक दायित्वों का गला घोंट रहे हैं। मुख्यमंत्री को आरएसएस का चश्मा उतारकर एक मुख्यमंत्री की तरह कार्य करना चाहिए व दोषियों को बचाने का काम बंद करके कानून व्यवस्था की रक्षा कर अपना संवैधानिक कार्य निभाना चाहिए।
पार्टी राज्य सचिवमण्डल सदस्य डॉ कुलदीप तनवर ने कहा है कि विश्वविद्यालय के अंदर आरएसएस की कक्षाएं लगाकर विश्वविद्यालय का भगवाकरण व साम्प्रदारीकरण करने की कोशिशें की जा रही हैं जिसे भारतीय संविधान इज़ाज़त नहीं देता है। और यह ऐसे समय में हो रहा है जब देश में लोक सभा चुनावों की चुनावी प्रक्रिया चल रही है और चुनाव आचार संहिता स्पष्ट कहती है कि ऐसे समय में व्यक्तियों का झुंड डंडों अथवा अन्य हथियारों के साथ इकट्ठे नहीं चल सकता है। इसके बावजूद आरएसएस के दर्जनों कार्यकर्ता संघदण्ड लेकर सरेआम घूम रहे हैं व क्रिकेट खेल रहे विश्वविद्यालय के निहत्थे छात्रों पर कातिलाना हमला कर रहे हैं।
इस सबके बावजूद हमलावरों को खुला छोड़कर एसएफआई के निर्दोष छात्रों को जेलों में ठूंसा जा रहा है व एकतरफा कार्रवाई की जा रही है जबकि आरएसएस व एबीवीपी के छात्रों पर कोई कार्रवाई नही की जा रही है। इसी से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार,पुलिस प्रशासन व संघ परिवार की तिकड़ी जानबूझकर कानून व्यवस्था की रक्षा नही करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस भेदभावपूर्ण रवैये के चलते ही बालूगंज थाना के बाहर एसएफआई के छात्रों पर कातिलाना हमला होता है व विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार एबीवीपी के छात्र गर्ल्ज होस्टल में धारधार हथियारों के साथ पकड़े जाते हैं व एसएफआई की छात्राओं पर गर्ल्ज होस्टल में भी रोड़ों से हमला किया जाता है। यह सब सिलसिलेवार हो रहा है व इसे प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन का खुला समर्थन है। यह राज्य प्रयोजित हिंसा है। इसलिए इस पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए।
संजय चौहान ने कहा कि पिछले दिनों विश्विविद्यालय में अनेकों घोटाले हुए हैं व आउटसोर्स भर्तियां करके आरएसएस के चहेतों को मेरिट को दरकिनार करके नौकरियां बांटी गई हैं। विश्वविद्यालय के छात्र एसएफआई के नेतृत्व में इन घोटालों व अनियमितताओं के खिलाफ लगातार संघर्षरत थे इसलिए ही ठीक यही समय आरएसएस की कक्षाओं को विश्वविद्यालय में चलाने व सुनियोजित हमले के लिए चुना गया ताकि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए छात्रों में खौफ का वातावरण बनाया जाए। पिछले कुछ समय में प्रदेश में लगभग 250 करोड़ रुपये का एससी एसटी स्कॉलरशिप सकैम हुआ है।
इसी दौरान विश्वविद्यालय के इक्डोल में लगभग 21 करोड़ रुपये का प्रोस्पेक्ट्स घोटाला हुआ है। इसी समय अखबारों में आउटसोर्स कार्य के लिए विज्ञापित हुए पदों को भरने के लिए हुए टेंडरों में कार्य किसी और एजेंसी को आवंटित हुआ परन्तु सारी टेंडर प्रक्रिया को रद्द करके संघ परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक ऐसी एजेंसी को अंततः कार्य दे दिया गया जिसने टेंडर भी नहीं भरा था।
इस तरह विश्वविद्यालय संघ परिवार व भाजपा के भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। भर्तियों व पदोन्नतियों में भी भारी घोटाला हो रहा है जैसा कि आउट ऑफ द वे 30 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को प्रोमोट करने के सिलसिले व अन्य मामलों में हुआ। इसी तरह प्रदेश सरकार के सर्व शिक्षा विभाग में भी आउटसोर्स के तहत लगभग 250 लोगों की गैरकानूनी नियुक्तियां की गई हैं। इस सबसे ध्यान भटकाने के लिए ही आरएसएस ने विश्वविद्यालय में शाखाएं शुरू करके हिंसा व अराजकता का षड़यंत्र रचा है जिसका छात्र व जनता भंडाफोड़ करके ही रहेंगे।
सी.पी.एम. मांग करती है कि सरकार अपना संवैधानिक उत्तरदायित्व का निर्वहन निष्पक्षता से करते हुए प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आरएसएस की इन गतिविधियों पर अंकुश लगाए। प्रदेश विश्विद्यालय में अराजकता का माहौल पैदा करने वाले आरएसएस व ए बी वी पी छात्र संगठन के दोषियों के विरुद्ध तुरंत उचित कानूनी कार्यवाही करें। यदि सरकार अपना संवैधानिक उत्तरदायित्व निभाने का कार्य नहीं करती तो सी.पी.एम. लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाएगी।