आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में न केवल अद्भुत आर्थिक क्षमता है, बल्कि सामाजिक प्रभाव भी है और यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में अहम् भूमिका अदा कर सकती है। राज्य सरकार लोगों के लिये प्रभावी, पारदर्शी, उत्तरदायी तथा उत्कृष्ट शासन के लिये इसका अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करेगी। यह बात मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद द्वारा आज यहां ‘ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ ‘पोटेन्शियल एप्लीकेशन इन हिमाचल प्रदेश’ पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अध्ययन दशकों से किया जा रहा है, लेकिन अभी तक यह कंप्यूटर विज्ञान में सर्वाधिक भ्रामक विषयों में से है। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने जबरदस्त प्रगति की है और 20 वर्ष पहले तक हजारों मील दूर कार में बैठे अपने मित्रों अथवा पारिवारिक सदस्यों के साथ बात करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी डिजिटल इंडिया के लिये प्रतिबद्ध है जो तकनीकी का अधिकांश उपयोग सुनिश्चित बनाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अवैध निर्माण पर अकुंश लगाने तथा जंगलों का खाका तैयार करने और अवैध वन कटान पर प्रतिबंध लगाने में भी कारगर हो सकती है। उन्होंने कहा कि अवैध खनन को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अधिकतम उपयोग से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चल रही विकासात्मक परियोजनाओं की निगरानी में भी मदद कर सकती है।
श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार बेहतर तथा पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग निर्माणाधीन विकास परियोजनाआें को समयबद्ध पूरा करना सुनिश्चित बनाने की निगरानी के लिए भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतवर्ष में अनेकों कम्पनियां विशेषकर ई-कॉमर्स बिज़नेस तथा स्टार्ट-अप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का दोहन करने की शुरूआत कर रही है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण चुनौती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रासंगिक डेटा एकत्रित करने, पुष्टि करने, मानकीकृत, सहसम्बद्ध, संग्रह और वितरित करना तथा गोपनीयता और नैतिकता से समझौता किए बिना इसे संगठनों, लोगों व प्रणालियों के लिए सुलभ बनाना है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोगों से राज्य के लोगों के लिए नए आयाम सामने आएगे। स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेहतर ज्ञान और अध्ययन के लिए तकनीकी के रूप में उभर रही है। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर कल के बेहतर परिणामों में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषकर बैंकिंग, स्वास्थ्य संचार एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में प्रमुख रूप से उभरेगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण तथा हिमकोस्ट के अध्यक्ष तरूण कपूर ने मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आगामी कुछ वर्षों में रोज़गार के अवसर सृजित करेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को अपनी शिक्षित युवा आबादी के कारण इस क्षेत्र में मुख्य भूमिका अदा करनी है।
कम्पयूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग आईआईटी मद्रास के अध्यक्ष तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के अध्यक्ष वी.कामाकोटी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आगामी कुछ वर्षों में आर्थिक बदलाव लाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मशीन में सभी प्रणालियां, जो बुद्धिमान निर्णय लेती हैं, को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए डिजीटल इण्डिया एक बड़ा अवसर प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वीकृत की गई प्रत्येक परियोजना को जियो-टैग तथा इसकी समीक्षा व निगरानी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी की भावना उत्पन्न करती है।
उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सदुपयोग से सलाहकार समाधान, स्वास्थ्य देखभाल, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, बीपीओ आदि क्षेत्र नौकरियों के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर सकते हैं।सीएसआईआर इन्सटीटयुट ऑफ जेनोमिक्स एण्ड इन्टीग्रेटिव बायोलॉज़ी नई दिल्ली के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मानव इंटेलिजेंस पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंट संरचना तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शासन के अनेक कार्यों को सम्भाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिकित्सा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार से चिकित्सा ज्ञान का भी विस्तार हुआ है।
सीएसआईआर सेंट्रल इलैक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग रिसर्च इन्सटिटयूट पिलानी राजस्थान के निदेशक डॉ. सान्तनु चौधरी ने समावेशी विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर प्रस्तुति दी। हिमकास्ट एस हिमाचल प्रदेश के सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। अतिरिक्त मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल और अनिल खाची, प्रधान सचिव आर.डी. धीमान, प्रबोध सक्सेना तथा ओंकार शर्मा सचिव अरूण शर्मा व पुर्णिमा चौहान तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।