( जसवीर सिंह हंस ) असंभव को संभव करने वाली डा. शिखा सूद ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के रेडयोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर तैनात डा. शिखा सूद शिखर पर शिखा पहुंच गई है। उनका चयर एम्स में हुआ है। वो एम्स में गेस्टोइंटस्टाइनल रेडयोलॉजी फेलोशिप करेंगी। डा. शिखा सूद ने एम्स में एक मात्र प्रकाशित सीट पर देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
इस कोर्स को पूरा करने के बाद वह प्रदेश की प्रथम महिला रेडयोलॉजिस्ट होंगी जो डीएसए और सी आर्म मशीनों पर बिना चीर फाड़ किए मरीजों का कई बीमारियों का उपचार करेंगी। उदाहरणतय लीवर के मूलभूत तथा किसी और कैंसर से आए हुए टयूमरर्स, पित की रूकावट का बिना चीर फाड़ के उपचार, खाने की नाली आदी का उपचार करेंगी। हिमाचल प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है।
बता दें कि डा. शिखा सूद ने कुछ साल पूर्व पल्मोनरी थ्रोंबों एंबोलिज्म बीमारी का उपचार सीटी एंजीयोग्राफी के जरिए खोजा था। उन्होंने इस बीमारी का उपचार एक शोध पत्र के जरिये किया था। यही नहीं डा. शिखा ने कई और शोध पत्र भी लिखे हैं जिन्हें अंतर्राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने साउथ कोरिया और कुवैत में अपने शोध पत्रों को पढ़ा है जहां उनकी इस मेहनत को सराहा गया और उन्हें प्रशंसा पत्र भी मिले हैं।
डा. शिखा ने हैड एंड नेक कैंसर से पीडि़त मरीजों के उपचार अपने शोध पत्र में किया था जिसकी सराहना देश विदेश में की गई थी। डा. शिखा एमबीबीएस में भी गोल्ड मेडलिस्ट रही है और उन्होंने पीजी की प्रवेश परीक्षा प्रदेश में और डीएम न्यूरो रेडयोलॉजी की प्रवेश परीक्षा में भी देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मेलनों में हिस्सा लिया और पीजीआई की क्वीज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री विपीन परमार ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनांए दी हैं।