योग भारतवर्ष की पुरातन परम्परा का अमूल्य उपहार : मुख्यमंत्री

योग भारतवर्ष की पुरातन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है, जो मन और शरीर, विचार और कर्म, संयम और संतुष्टि तथा मानव और प्रकृति के बीच तालमेल का प्रतीक है। यह बात मुख्यमंत्री  जय राम ठाकुर ने आज यहां अपने सरकारी निवास ओक-ओवर से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से योगाभ्यास के लिए कुल्लू के ढालपुर मैदान में एकत्र लोगों को सम्बोधित करते हुए कही।

जय राम ठाकुर ने कहा योग एक धर्म नहीं है, अपितु जीने की एक कला है जो स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ मन के उद्देश्य को यथार्थ बनाता है। उन्होंने कहा कि योग शरीर को लौकिक ऊर्जा के साथ रिचार्ज करता है तथा पूर्ण सन्तुलन और सद्भाव की प्राप्ति को सहज बनाता है, स्व-उपचार को बढ़ावा देता है, शरीर तथा दिमाग से नकारात्मक बाधाओं को दूर करता है तथा आत्म ज्ञान को बढ़ाता है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि योगाभ्यास की कला शान्तिप्रिय मन तथा शरीर को हासिल करने के लिए शारीरिक तथा मानसिक विषयों को साथ लाने में मदद करती है। योग लचीलापन और मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने में मदद करता है तथा श्वसन, ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार करता है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिसव के रूप में मनाने का सुझाव दिया था और तब से 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘हम फिट तो इण्डिया फिट’ अभियान से देश के लाखों लोगों को योग तथा फिटनेस से जुड़े अन्य व्यायामों के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कुल्लू प्रशासन तथा कुल्लू के उपायुक्त यूनुस के प्रयासों की सराहना की।

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