90 वर्षों बाद सरानाहुली मेले में पहुंची माता पार्वती

-जल्लूग्रां में देवमय हुआ माहौल, धूप व विरशु का आयोजन

सैंकड़ों लोगों ने माता पार्वती से लिया आशीर्वाद

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कुल्लू, 19 मई। मणिकर्ण घाटी के जल्लूग्रां में 90 वर्षों बाद सरानाहुली मेले में माता पार्वती पहुंची। अपने मुख्य मंदिर चौंग से माता की भव्य यात्रा जल्लूग्रां तक निकाली गई। इस दौरान जल्लूग्रां में माहौल देवमय हुआ है और देवनृत्य का भी आयोजन हुआ। यहां पर माता ने नरसिंग भगवान से भव्य मिलन किया। जल्लूग्रां में हर वर्ष सरानाहुली मेले का आयोजन होता है लेकिन लंबे अरसे के बाद माता पार्वती के रथ को भी इस मेले में लाया गया।

बुर्जूगों के अनुसार 90 वर्षों के बाद माता पार्वती को इस मेले में आमंत्रित किया गया। देवी माता के कारदार दुनी चंद, पुजारी गेहर चंद, कठियाला जीवन चंद, मंदिर कमेटी के प्रधान देवेंद्र शर्मा, गुर कुंदन लाल ने बताया कि अब हर वर्ष सरानाहुली मेले में माता पार्वती का आगमन होगा। उन्होंने बताया कि 90 वर्ष पहले माता इस मेले में आती थी लेकिन उसके बाद यह परंपरा टूट गई थी लेकिन इस बार माता के आदेश पर जल्लूग्रां व चौंग वासियों ने यह निर्णय लिया कि मेले की शोभा बढ़ाने के लिए फिर से माता पार्वती को मेले में लाया जाएगा। इस दौरान प्रथम दिन जहां माता का भव्य आगमन हुआ वहीं, दूसरे दिन सैंकड़ों लोगों ने माता के पास आकर शीश नवाजा और आशीर्वाद लिया। जबकि तीसरे दिन यहां पर धूप व विरशु का आयोजन किया गया। गौर रहे कि धूप एक तरह की विशेष पूजा होती है जिसमें गांव की सभी महिलाएं व क्षेत्र की विवाहित बेटियां माता के पास विशेष पूजा के लिए पहुंचती हैं। इस पूजा में पारंपरिक परिधानों में सुसज्जित महिलाएं थाली में धूप, फूल, चावल, कुमकुम व अन्य सामग्री ले जाती हैं और बारी-बारी करके माता का पूजन करती हैं। इस प्रक्रिया के बाद यहां पर जल्लूग्रां में विरशु मेले का भी आयोजन हुआ। विरशु मेले में जहां बीच में माता पार्वती का नृत्य होता है वहीं, चारों ओर महिलाएं पारंपरिक वेशभुषा में नृत्य करती हैं। यह नृत्य पुरातन माता के रागों व गीतों पर आधारित होता है और ढोल-नगाड़ों, शहनाई व करनालों की धून में भव्य नृत्य हुआ। इस नृत्य को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। नृत्य के अंतिम क्षण में देउली का आयोजन होता है और माता गुर के माध्यम से भविष्यवाणी करती है। इस बार सरानाहुली मेले को बड़ी धूमधाम से मनाया गया और लोगों ने मेहमानबाजी का भरपूर आनंद लिया। लोग दूर-दूर से माता के दर्शन व मेले का आनंद लेने यहां पहुंचे थे।

सनद रहे कि यहां पर माता पार्वती का चौंग गांव में भव्य मंदिर है और माता के कई रूपों को यहां पर दर्शाया गया है। माता पार्वती का पूरा परिवार देवभूमि कुल्लू में विराजमान है। शिव भगवान बिजली महादेव में विराजमान हैं और कार्तिक व गणेश भी इसी जिला में मौजूद हैं। दशहरा उत्सव के दौरान शिव परिवार का भव्य मिलन होता है और यह मिलन आकर्षण का केंद्र रहता है। माता पार्वती को मणिकर्ण घाटी की अधिष्ठाता देवी माना जाता है और पूरे प्रदेश से लोगों यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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