मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा बनाए गए प्रदेश के जिला घरेलू उत्पाद (जिला आय) के अनुमान वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक नए आधार वर्ष वर्ष 2011-12 पर एक प्रकाशन जारी किया। विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ज़िला घरेलू उत्पाद मानव विकास और जीवन यापन के स्तर को मापने का मुख्य सूचक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश न केवल देश की एक प्रमुख अर्थव्यवस्था अपितु पहाड़ी क्षेत्रों के विकास में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। प्रदेश पर्यटन तथा जल ऊर्जा निवेश के लिए एक आदर्श स्थान है। उन्होंने कहा कि उत्तरदायी प्रशासन तथा अनुकूल आर्थिक स्थितियों के कारण अर्थव्यवस्था में एक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार हुआ है, जिसके कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत आर्थिक स्थिति की और अग्रसर है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य की आय किसी भी राज्य की आर्थिक स्थिति को मापने के लिए उपयोग किया जाने वाला सबसे व्यापक सूचकांक है। उन्होंने कहा कि राज्य की आय वर्ष 1999-2000 में 14,112 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 1,09,440 करोड़ रुपये हो गई तथा निरन्तर भाव पर वर्ष 2017-18 में राज्य आय 1,35,914 करोड़ रुपये है। वर्तमान भाव पर राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1999-2000 में 20,806 रुपये थी, जो कि वर्ष 2017-18 में बढ़कर 1,58,462 रुपये हो गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य घरेलू उत्पाद में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 1950-51 में 71.01 प्रतिशत था जो कि वर्ष 2017-18 में घटकर 15.39 प्रतिशत रह गया है जबकि गौण क्षेत्र का योगदान बढ़कर 40.09 प्रतिशत हो गया है। अन्य क्षेत्रों का योगदान वर्ष 1950-51 में 19.19 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में बढ़कर 44.52 प्रतिशत हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी ज़िलों में आर्थिक स्थिति व प्रगति एक समान नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चार ज़िलों का राज्य सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 62 प्रतिशत है। वर्ष 2015-16 में सोलन ज़िला जिसका मुख्यतः एक मजबूत आधार होने के कारण इसका योगदान 24.67 प्रतिशत है। इसके बाद ज़िला कांगड़ा 13.76 प्रतिशत, ज़िला शिमला 13.74 प्रतिशत व मंडी 10.15 प्रतिशत है। जबकि इन ज़िलों का भौगोलिक क्षेत्रफल राज्य के कुछ क्षेत्रफल का मात्र 30 प्रतिशत है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि आर्थिक सुख-समृद्धि का एक अन्य प्रमुख सूचक है। जिलावार प्रति व्यक्ति आय के तहत वर्ष 2015-16 में सोलन ज़िले की आय सबसे अधिक 3,94,102 है, जबकि किन्नौर ज़िला 2,17,993 रुपये आय के साथ दूसरे स्थान पर है तथा लाहौल-स्पीति तीसरे स्थान पर है, जिसकी आय 1,19,231 रुपये है। ज़िला घरेलू उत्पाद में कांगड़ा ज़िले का योगदान दूसरे स्थान पर है, जबकि प्रति व्यक्ति आय 86,637 रुपये के साथ अन्तिम स्थान पर है क्योंकि प्रति व्यक्ति आय ज़िले के शुद्ध उत्पाद और जनसंख्या के अनुपात में होती है। अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी, आर्थिक सलाहकार प्रदीप चौहान तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।