मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिला के चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में सार्वभौमिक, निःशुल्क, अनिवार्य तथा गुणात्मक शिक्षा पर राज्य स्तरीय शिक्षा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए घोषणा की कि शिक्षा विभाग में कार्यरत पीजीटी का नाम बदल कर प्रवक्ता किया जाएगा। सम्मेलन का आयोजन प्रदेश स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री ने गुरू नानक देव जयन्ती के अवसर पर प्रदेश के लोगों विशेषकर सिख समुदाय को बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें राज्य में विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में हुए विकास पर गर्व है। प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक तथा मात्रात्मक दोनों क्षेत्रों में बेहतर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में अधोसंरचना स्तरोन्यन किया गया है और हजारों प्रशिक्षित अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया आरम्भ की गई है ताकि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में पर्याप्त संख्या में अध्यापकों की तैनाती सुनिश्चित बनाई जा सके।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश को देश का शिक्षा हब बनाने के लिए अनेक योजनाएं आरम्भ की है। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता देने हेतु मेधा प्रोत्साहन योजना आरम्भ की है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश में अटल आदर्श विद्या केन्द्र खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापन एक आदर्श व्यवसाय है और राष्ट्र निर्माण में अध्यापकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है, जब उसके पास समर्पित, योग्य और निष्ठावान अध्यापकों की टीम हो। उन्होंने कहा कि इस प्रकार अध्यापकों की भूमिका व कर्तव्य और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए कहा कि वे शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रतिदिन लगभग 18 किलोमीटर पैदल सफर करते थे परन्तु आज प्रदेश में लगभग तीन किलोमीटर की दूरी के भीतर शिक्षण संस्थान है। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षण संस्थान वोट को नजर में रख कर खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के अन्तिम महीनों में एक लाख रुपये प्रति कॉलेज बजट का प्रावधान कर 21 महाविद्यालय खोलने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में स्थित शिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान दे रही है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि सुदृढ़ समाज के लिए मूल्य आधारित शिक्षा अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रदेश में नैतिक शिक्षा व योग को शैक्षणिक पाठक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अध्यापकों को विद्यार्थियों में नशीली दवांओं की आदत से दूर रखने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विद्यार्थियों को ज्ञान देने के साथ-साथ उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव पर भी नजर रखनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में उप प्रधानाचार्य का पद सृजित किया जाएगा। उन्होंने स्कूल लेक्चरर के पदोन्नती कोटे को 50 से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने की भी घोषणा की। उन्होंने कम परिणाम वाले अध्यापकों की वार्षिक वृद्धि पर लगी रोक को एक बार के लिए वापिस लेने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सार्वभौमिक निःशुल्क अनिवार्य एवं गुणात्मक शिक्षा की स्मारिका का भी विमोचन किया। इस स्मारिका का सम्पादन प्रेम शर्मा द्वारा किया गया है।
मुख्यमंत्री को इस अवसर पर हि.प्र. स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के सदस्यों की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए पांच लाख का चेक भेंट किया।मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित किया। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश को देश की एक प्रख्यात पत्रिका द्वारा कराए गए स्टेट ऑफ स्टेट सर्वेक्षण में देश के बड़े राज्य की श्रेणी में शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है तथा इसके लिए राज्य को पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज लगभग 24 सरकारी व निजी विश्वविद्यालय के अलावा 18000 से अधिक शिक्षण संस्थान है परन्तु आज शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अध्यापक न केवल विद्यार्थियों के भविष्य को दिशा देने में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे समाज को नई दिशा देने की भी क्षमता रखते हैं। उन्हांंने कहा कि मूल्य आधारित शिक्षा ही हमारे राष्ट्र को विश्व गुरू बना सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अभिभावकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल करने को प्रेरित करने के लिए राज्य के सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी कक्षाएं आरम्भ करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 250 प्रधानाचार्य व 150 मुख्याध्यापकों को पदोन्नत किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद शान्ता कुमार ने कहा कि अध्यापकों के उपर समाज में बदलाव लाने की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वे यह जानकर प्रसन्न है कि प्रदेश को देश के बड़े राज्य की श्रेणी में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर तथा शिक्षा मंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके लिए योग तथा नैतिक शिक्षा को शौक्षणिक पाठयक्रम का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए और अधिक समर्पण व प्रतिबधता से कार्य करने को कहा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में देश का प्रगतिशील राज्य बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने विद्यार्थियों में नशे की ओर बढ़ते झुकाव पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने अध्यापकों से इस सामाजिक कुरीति को रोकने के लिए आगे आने का आहवान किया।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि प्रदेश के शिक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि हिमाचल देश के शिक्षा हब के रूप में उभरें। उन्होंने देश की गुरू-शिष्य परम्परा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज अध्यापकों के प्रति सम्मान धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिस पर आत्म चिंतन की आवश्यकता है।
संघ के महासचिव संजीव ठाकुर ने मुख्यमंत्री व अन्य उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जमा एक व जमा दो कक्षाओं में विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की दर न्यूनतम है, जिससे यह पता चलता है कि स्कूलों के प्रवक्ता सम्पर्ण व ईमानदारी से कार्य करते हैं।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला, विधायक राकेश पठानिया, रविन्द्र धीमान, मुलख राज प्रेमी, पूर्व विधायक दुलो राम, राज्य महिला मोर्चा की अध्यक्ष इन्दु गोस्वामी, कांगड़ा सहकारी बैंक के अध्यक्ष डॉ. राजीव भारद्वाज, ज़िला भाजपा अध्यक्ष विनय शर्मा, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. अशोक सरेल, उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार, पुलिस अधीक्षक कांगड़ा संतोष पटियाल अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित इस अवसर पर उपस्थित थे।
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