पावटा साहिब : क‌ई निजी कंपनियों के द्वारा कर्मचारियों को नहीं दिया गया लाकडाउन समय का वेतन,श्रम विभाग शिकायत के इंतजार में कर्मचारी नौकरी जाने के डर से नहीं कर रहे शिकायत

सरकार के आदेशों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान सभी फैक्ट्रियों को आदेश दिए गए थे कि वह किसी भी  कर्मचारी की तनख्वाह ना रोके लेकिन ग्राउंड लेवल पर इन आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है  कर्मचारी जितने दिन कार्य पर गया है उसे उतने ही दिन की सैलरी दी गई है जो  व्यक्ति लॉकडाउन के दौरान कार्य पर नहीं जा पाया उसे उसकी सैलरी नहीं दी गई तथा वह  लॉकडॉउन के दौरान जितने समय फैक्ट्री के अंदर कार्य कर पाया है उसे उतने ही दिन की सैलरी दी जा रही है वही मजदूर व कर्मचारी वर्ग अपने बच्चों की स्कूल की फीस व अन्य खर्चे भी कैसे  कर पाएगा जब उसे उसकी सैलरी नहीं मिली क्योंकि  लॉकडॉन के दौरान  घर से बाहर निकलने के आदेश नहीं थे व फैक्ट्री में कार्य भी नहीं कर पाया और वही कई फैक्ट्री मालिक के द्वारा उन व्यक्तियों को उनकी मासिक सैलरी भी नहीं दी गई हैं

वहीं कई बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस समय श्रम विभाग को इन कंपनियों से स्वयं डिटेल लेनी चाहिए कि इन्होंने कंपनियों के द्वारा यहां पर काम कर रहे श्रमिकों के खाते में लाकडाउन समय की सैलरी का भुगतान किया गया है या नहीं |वहीं इस बारे में जब श्रम निरिक्षक सोहनलाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर किसी कर्मचारी के द्वारा शिकायत दर्ज करवाई जाएगी तो उपरोक्त कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा |कई प्राइवेट कंपनियों में काम करने वालो को अप्रैल की सैलरी नहीं मिलेगी |

मजदूरों और कर्मचारियों को नहीं दी जा रही है लॉकडॉउन में उनकी सैलरी|  सरकार के आदेशों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान सभी फैक्ट्रियों को आदेश दिए गए थे कि वह किसी भी  कर्मचारी की तनख्वाह ना रोके लेकिन ग्राउंड लेवल पर इन आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है  कर्मचारी जितने दिन कार्य पर गया है उसे उतने ही दिन की सैलरी दी गई है जो  व्यक्ति लॉकडाउन के दौरान कार्य पर नहीं जा पाया उसे उसकी सैलरी नहीं दी गई तथा वह  लॉकडॉउन के दौरान जितने समय फैक्ट्री के अंदर कार्य कर पाया है उसे उतने ही दिन की सैलरी दी जा रही है वही मजदूर व कर्मचारी वर्ग अपने बच्चों की स्कूल की फीस व अन्य खर्चे भी कैसे  कर पाएगा जब उसे उसकी सैलरी नहीं मिली क्योंकि  लॉकडॉन के दौरान  घर से बाहर निकलने के आदेश नहीं थे व फैक्ट्री में कार्य भी नहीं कर पाया और वही कई फैक्ट्री मालिक के द्वारा उन व्यक्तियों को उनकी मासिक सैलरी भी नहीं दी गई हैं

 

वहीं कई बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस समय श्रम विभाग को इन कंपनियों से स्वयं डिटेल लेनी चाहिए कि इन्होंने कंपनियों के द्वारा यहां पर काम कर रहे श्रमिकों के खाते में लाकडाउन समय की सैलरी का भुगतान किया गया है या नहींवहीं इस बारे में जब श्रम निरिक्षक सोहनलाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर किसी कर्मचारी के द्वारा शिकायत दर्ज करवाई जाएगी तो उपरोक्त कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा।

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