प्रदेश में गत सवा चार वर्षों के दौरान मन्दिरों के रखरखाव तथा जिर्णोद्वार पर लगभग 38 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है। यह जानकारी कौशल विकास निगम के निदेशक विक्रमादित्य सिंह ने नारग के समीप जालपा माता मन्दिर के प्रागण में गत दिवस आयोजित मेले में उपस्थित जनसमुह को सम्बोधित करते हुए दी।
उन्हांेने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में देवी देवताओं के प्राचीन मन्दिर स्थापित है। जिनमें लोगों कीे अटूट आस्था है। उन्हांेने कहा कि सरकार द्वारा मन्दिरांे के रख रखाव व सरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि देव सस्कृति को बनाए रखा जा सके।
उन्होने लोगों को मेले की शुभकामनाएंे देते हुए कहा कि मेलंे व त्यौहार प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के परिचायक है जिनके आयोजन से जहां लोगों को आपसी मिलने जुलने का मौका मिलता है वहीं पर लोगों मे आपसी भाईचारा, परस्पर सहयोग, प्यार व बन्धुत्व की भावना उत्पन्न होने के साथ साथ राष्ट्र की एकता व अखण्डता को बल मिलता है। उन्होने कहा कि मेले को आकर्षक बनाने के साथ साथ इसकी प्राचीन गरिमा को भी बनाए रखा जाना चाहिए। उन्हांेने लोगों का आहवान किया कि वे प्रदेश की समृद्व प्राचीन संस्कृति को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
उन्हांेने कहा कि प्रदेश सराकार द्वारा राज्य के सभी क्षेत्रों का चौमुखी विकास करने के लिए निरन्तर कार्यरत है। उन्होंने कहा कि सराकर द्वारा लोगांे के सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाए चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य मंे स्वास्थ्य शिक्षा सड़क क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान कर रही है। प्रदेश के हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के निरन्तर प्रयार किए जा रहे है। उन्हांेने कहा कि नारग में उप तहसील खोलने का वायदा पूरा किया है जिसके खुलने से इस क्षेत्र की 18 पंचायत के लोगों को घर द्वार पर राजस्व संबधी सुविधा उपलब्ध हुई है। उन्होंने मन्दिर प्रागण में स्टेडियम निर्माण के लिए डेढ लाख रूपये की राशि उपलब्ध करवाने की घोषणाा भी की।
हिमाचल प्रदेश योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री जीआर मुसाफिर ने लोगों को मेलें की शुभकामनाए दी तथा कहा कि मॉ जालपा मन्दिर के प्रागण में यह मेला प्रति वर्ष नवरात्रों के उपरान्त चौदस को मनाया जाता है। जिसमंे आस-पास क्षेत्र के लोग माता का आर्शीवाद प्राप्त करते है। उन्हांेने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश में पहाड़ी राज्य के विकास का मॉडल के रूप में उभरा है। उन्होने कहा कि पच्छाद क्षेत्र का विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और वर्तमान में पच्छाद में करोड़ो की सड़क पेयजल योजनाओं पर कार्य चल रहा है।