असहाय एवं आश्रयहीन बच्चों के प्रति पूरे समाज को सजग रहने की नितांत आवश्यकता है तभी हम उनका असामाजिक तत्वों से बचाव कर संरक्षण कर सकते हैं। यह जानकारी आज यहां पुलिस अधीक्षक सोलन मधुसूदन शर्मा ने बाल संरक्षण अधिनियम व किशोर न्याय अधिनियम पर आयोजित एक दिवसीय जागरूकता शिविर की अध्यक्षता करते हुए दी। कार्यशाला का आयोजन जिला बाल संरक्षण इकाई सोलन द्वारा किया गया।
मधुसूदन शर्मा ने कहा कि कहा कि यह जागरूकता शिविर पुलिस, बाल संरक्षण समिति, किशोर न्याय बोर्ड के आपसी समन्वय के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा। जिससे प्रभावित बच्चों को त्वरित सहायता व संरक्षण प्रदान करना आसान होगा।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि असामाजिक तत्वों के लिए बच्चे आसान लक्ष्य होते हैं। आसामाजिक तत्व विभिन्न अवांछनीय गतिविधियों के लिए असहाय एवं आश्रयहीन बच्चों की तलाश करते हैं। बच्चों को ऐसे तत्वों से बचाने के लिए पूरे समाज का जागरूक होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस अथवा बाल संरक्षण इकाई को दी जानी चाहिए ताकि समय रहते उचित कार्रवाई कर बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके।
इससे पूर्व श्रम अधिकारी जितेंद्र बिन्द्रा ने किशोर श्रम अधिनियम-1986 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बाल श्रम पूरी तरह निषेध है। पारिवारिक व्यवसाय में बच्चों से तभी कार्य लिया जा सकता है यदि इससे उनकी शिक्षा बाधित न होती हो। किसी भी बच्चे से 5 घंटे से अधिक कार्य नहीं करवाया जा सकता है तथा 3 घंटे के कार्य के उपरांत विश्राम अनिवार्य है।
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी वंदना चौहान ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं और उनका संरक्षण हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने यौन शोषण के बार में जानकारी देते हुए कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छे व बुरे स्पर्श के बारे में अवगत करवाएं। इस संबंध में विद्यालयों में जानकारी दी जानी भी आवश्यक है।इस अवसर पर बाल संरक्षण समिति के सदस्य अश्वनी शर्मा तथा विजय ने भी अपने विचार रखे।इस शिविर में समेकित बाल विकास परियोजना अधिकारी पवन गुप्ता, बाल संरक्षण समिति के सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य, पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।