(पच्छाद)सराहां-चंडीगढ़ सड़क को मिली 8 करोड़ की भारी भरकम रकम पर पानी फिर गया है। राजनितिक व विभागीय उदासीनता का ही नतीजा है कि 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी सड़क पक्की नहीं हुई है। वर्ष 2007 में इस सड़क को भारत निर्माण योजना में डाला गया था जिसमे 28 किलोमीटर सड़क को न केवल पक्का बल्कि चौड़ा व सुविधाजनक बनाया जाना था । हैरानी यह है कि पहले इस सड़क को भारत निर्माण योजना में और बाद में पीएमजीएसवाई में डाला गया। करोड़ों की राशि खर्चने के बाद भी सराहां-चंडीगढ़ सड़क की हालत में सुधार नहीं हो पाया है। सड़क कार्य की गुणवत्ता का आलम यह है कि आगे आगे ठेकेदार तारकोल बिछाता था और पीछे से वह उखड़ती जाती इस तरह सबकी आँखों के सामने यह गौरखधंधा चलता रहा।लवासा चौकी में लगे सड़क निर्माण के ये बोर्ड केवल दिखावा मात्र हैं, इन शर्तों के अनुरूप सड़क पर कोई कार्य नहीं हुआ है।
अभी तक जो 19 किलोमीटर सड़क पक्की हो पाई है वः फटेहाल है। गाइडलाइन के मुताबिक 5 वर्षों तक सम्बंधित ठेकेदार को ही सड़क की मेंटेनेंस करनी होती है जिसकी यहां पूरी तरह अवहेलना की गई। इस मामले में भी लोकनिर्माण विभाग ठेकेदार पर मेहरबान रहा। विभाग के मजदूर सड़क पर पड़े गढ़ों में मिटटी भर देते या फिर बजरी से उन्हें भर देते। यही नहीं विभाग ने अपने ही नियमों को धत्ता बताते हुए नवम्बर माह में सड़क के 3 किलोमीटर हिस्से को पक्का किया और बजरी साथ साथ उखड़ गयी। 6 महीने निकल जाने के बाद भी विभाग हाथ पे हाथ धरे बैठा है। स्थानीय लोग कई बार इस अव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं लेकिन कोई टस से मस नहीं हो रहा है।
यही कारण है कि दशकों से सराहां – चण्डीगड सड़क की धूल फांक रहे पच्छाद के ग्रामीणों को करोड़ों खर्चने के बावजूद भी कोई राहत नहीं मिली है। सड़क कार्य की जाँच करवाकर सही तस्वीर सामने आएगी विभाग ने ठेकेदार की जमानत राशि व कुछ बिलों का भुगतान नहीं किया है फिलहाल ठेकेदार से ही सड़क को दुरुस्त करवाया जायेगा- एन के वशिष्ट एस ई लोकनिर्माण विभाग नाहन।