आखिर कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों को तलाक दे ही डाला धर्मशाला में शहीद सम्मान यात्रा के दौरान कांग्रेस और सरकार दोनों के दो बड़े नेताओं ने साफ़ साफ़ कहा की निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है. पार्टी अध्यक्ष सुक्खू ने साफ़ किया की वे अपने लालच या सुविधा के कारण कांग्रेस के एसोसियेट बने थे और अब अगर जा रहे हैं तो भी अपने लालच के चलते जा रहे हैं. कांग्रेस से उनका कोई ताल्लुक नहीं था और न ही है. ये शायद निर्दलियों खासकर जिन्होंने अभी भी बीजेपी की राह नहीं चुनी है उनके लिए किसी तिरस्कार से कम नहीं है. कहाँ तो कांग्रेस ने साढ़े चार साल उनपर डोरे डालकर उनको बांधे रखा कि अगर कहीं कोई बगावत हुई तो काम आएंगे |
और कहाँ अब मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं. अब बलबीर वर्मा और मनोहर धीमान के लिए तो फिर भी ये शायद उतना कष्टकारी नहीं हो क्योंकि उन्होंने बीजेपी की राह पकड़ ही ली है. लेकिन दुसरे बचे निर्दलियों के लिए ये बात काफी कष्टप्रद हो सकती है. खासकर पवन काजल जो अरसे से कांग्रेस में जाने के लिए मेहनत कर रहे हैं उनके लिए इस बयान के बाद निराशा उपजनी तय है. एक तो पहले ही बाली ने उनकी कांग्रेस टिकट को लेकर विरोधी बयान दिए थे, ऊपर से अब कांग्रेस अध्यक्ष की किनाराकशी के बाद जनाब का भविष्य अनिश्चितता के पाले में झूलने लगा है. वही पांवटा साहिब के निर्द्लिये विधायक किरनेश जंग भी टिकट के लिए भागे फिर रहे है व उनके समर्थक भी उनको छोड़कर भाग रहे है | लोग चुनावो में उनको पांच साल काम न करने का जवाब वोट से देने की तेयारी में है | पिछले दिनों भी निर्द्लिये विधायको को दिल्ली में राहुल गाँधी से मिलवाकर टिकट की लोलीपोप भी दिलवाई गयी थी | वैसे उम्मीद है कि इस मामले में शीघ्र सी एम् की तरफ से कोई बयान आ जाये आखिर सम्बध्त्ता भी तो उन्हीं से थी |
लेखक संजीव शर्मा हिमाचल दस्तक के स्थानीय संपादक हैं लेख उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है |